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इस भागकी विषयसूची
चित्रपरिचय प्रकाशककी ओरसे सम्पादकीय वक्तव्य प्रस्तावना १ ग्रन्थपरिचय १ कषायप्राभृत
१-११२ ५-३७ ५-१५
नाम
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कषायप्राभूतका नामान्तर कषायप्राभतके दोनों नामोंकी सार्थकता कषायप्राभृतकी रचनाशैली कषायप्राभृत और षट्खंडागम कषायप्राभृत और कर्मप्रकृति कषायप्राभूतकी टीकाएँ यतिवृषभ के चूणिसूत्र उच्चारणावृत्ति मूलुच्चारणा वप्पदेवाचार्य लिखित उच्चारणा स्वामी वीरसेन लिखित उच्चारणा लिखित उच्चारणा शामकूण्डाचार्यकी पद्धति तुम्बुलूराचार्यकृत चूडामणि अन्य व्याख्याएं जयधवला २ चूर्णिसूत्र
१५-२५
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३ जयधवला
२५-३७ नाम इस नामका कारण जयधवला सिद्धान्तग्रन्थ
रचनाशैली [सिद्धान्तग्रन्थों के अध्ययनके अधिकारकी चरचा]
जयधवलाको व्याख्यानशैली जयधवलामें निर्दिष्ट ग्रन्थ और ग्रन्थकार ३२-३५ महाकर्मप्रकृति और चौबीस अनुयोगद्वार ३२ संतकम्मपाहड और उसके खंड दसकरणिसंग्रह तत्त्वार्थसूत्र परिकर्म सिद्धसेनका सम्मइसुत्त तत्त्वार्थभाष्य प्रभाचन्द जयधवला और लब्धिसार
जयधवला और क्षपणासार ३६-३७ २ ग्रन्थकार परिचय
३८-७७ १-२ कसायपाहुड और चूर्णिसूत्रों के कर्ता
आचार्यगुणधर और यतिवृषभ कसायपाहुडकी गाथाओंकी कर्तृकतामें मतभेद३९ आचार्य गुणधर और उनका समय ३९-४३ आर्यमंक्ष और नागहस्ति
आ० यतिवृषभका समय ८३ वर्षकी गणना, त्रिलोकप्रज्ञप्तिकी राजकालगणना
आचार्य कुन्दकुन्द और यतिवृषभ ५७ [मुनि श्री कल्याणविजयजीके कुन्दकुन्द विषयक मन्तव्यकी आलोचना (पृ० ५९) नियमसारके लोकविभागका विवेचन (पृ० ६१) त्रिलोकप्रज्ञप्तिके वर्तमानरूप पर विचार (पृ० ६५) ] प्रन्थकारोंकी आम्नाय
६७-६९ ३ जयधवलाके रचयिता
६६-७७ आ. वीरसेन और जिनसेन
७० किसने कितना ग्रन्थ बनाया
१५
नाम रचना शैली
१७-१९
व्याख्यान शैली चणिसूत्रमें अधिकार निर्देश चूणिसूत्र में ग्रन्थनिर्देश चूर्णिसूत्र में दो उपदेशपरम्परा चूणिसूत्र और उच्चारणावृत्ति चूणिसूत्रकी अन्य व्याख्याएं चूणिसूत्र और षट्खंडागम चूणिसूत्र और महाबन्ध चूणिसूत्र और कर्मप्रकृतिकी चूर्णि
२२
२३
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