Book Title: Kappasuttam
Author(s): Walther Schubring
Publisher: Jivraj Chellabhai Doshi

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Page 17
________________ बिइओ उद्देसो. ११ १०. अह पुग एवं जाणेज्जा - नो रासिकडाई ४ कोडाउनाणि वा पलाउत्ताणि वा मश्वाउत्ताणि वा मालाउत्ताणि वा कुम्भिउत्ताणि वा करभिउत्ताणि वा ओलित्ताणि वा विलिताणिवा लञ्छियाणि वा मुद्दियाणि वा पिहियाणि वा, कप्पइ निग्गन्याण वा निग्गन्थीण वा वासावासं वत्थए. ११. नो कप्पइ निग्गन्थीणं अहे आगमण िहंसि वा विषडगिहंसि वा वंसीमूलंसि वा रुक्खमूलंसि चा अभावगासियंसि वा वत्थए. १२. कप्पइ निग्गन्थाणं अहे आगमणगिहांस वा चंसीमूलंसि वा रुक्खमूलंसि वा अब्भावगासियंसि वा वत्थए. १३. एगे सागारिए पारिहारिए, दो तिष्णि चत्तारि पव सागारिया पारिहारिया; एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता अवसेसे निविसेज्जा. १४. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सागारियपिण्डं बहिया अनीहडं संसद्वं पडिग्गाहेत्तए. १५. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सागारियपिण्डं बहिया अनीहडं असंस पडिग्गाहेत्तए. १६. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सागारियपिण्डं बहिया नीहडं असंसङ्कं पडिग्गाहेत्तए १७. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सागारिय

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