Book Title: Kappasuttam
Author(s): Walther Schubring
Publisher: Jivraj Chellabhai Doshi

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Page 24
________________ कप्पसुत्तं. ३. २६. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा सागारियसन्तियं सेज्जासंथारयं आयाए अहिगरणं कट्ट संपवइत्तए. २७. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पडिहारियं वा सागारियसन्तियं वा सेज्जासंथारयं आयाए विगरणं कट्ट संपवइत्तए. २८. इह खलु निग्गन्थाण वा निग्गन्धीण वा पडिहारिए वा सागारियसन्तिए वा सेज्जासंथारए परिभट्टे सिया से य अणुगवेसियवे सिया. से य अणुगवेसमाणे लभेज्जा, तस्सेव अणुप्पदायवे सिया; से य अणुगवेसमाणे नो लभेज्जा, एवं से कप्पइ दोचं पि ओग्गहं ओगिण्हित्ता परिहारं परिहरित्तए. २९. जदिवसं च णं समणा निग्गन्था सेज्जासंथारयं विप्पजहन्ति, तदिवसं च णं अवरे समगा निग्गन्था हवमागच्छेज्ज; स चेव ओग्गहस्स पुवाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे. ३०. अस्थि याइं थ केइ उवस्सयपरियावन्ने अचित्ते प'रिहरणारिहे, स चेव ओग्गहस्स पुवाणुनवणा चिट्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे. ३१. से वत्थूसु अबावडेसु अबोगडेसु अपरपरिग्गहिएसु अमरपरिग्गहिएसुस चेव ओग्गहस्स पुवागुन्नवणा चिट्ठइ अहालंन्दमवि ओग्गहे.

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