Book Title: Kappasuttam
Author(s): Walther Schubring
Publisher: Jivraj Chellabhai Doshi

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Page 32
________________ २६ कप्पसुतं. ४. कप्पर से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपन्जि जाणं विहरित. ते य से वियरन्ति, एवं से कप्पड़ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरितए: तेय से नो वियरन्ति, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए जत्थ उत्तरियं धम्मविणयं लभेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरितए; जत्थ उतरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा, एवं से नो कपड़ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए. २१. भिक्खू य इच्छेज्जा अन्नं आयरियउवज्झायं उत्तर, नो से कपइ अगापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छ्रेड वा अन्नं आयरियउवज्झायं उद्दिसाaar: कप्पर से आवुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणाचच्छेयं वा अन्नं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तर. ते य से वियरन्ति एवं से कप्पइ अन्नं आयरियउवज्झायं दिसावेत्तर; ते य से नो वियरन्ति एवं से नो कप्पड़ अन्नं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए नो से कप्पइ ari कारण अदीवेत्ता अन्नं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत, कप्प से तेसिं कारणं दीवेत्ता अन्नं आयरउवज्झायं उद्दिसावेत्तए. = २२. गणावच्छेइए य इच्छेज्जा अन्नं आयरियउव "

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