Book Title: Kappasuttam
Author(s): Walther Schubring
Publisher: Jivraj Chellabhai Doshi
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१६
कप्पसुत्तं.३.
१५. निग्गन्थस्स णं तप्पढमयाए संपन्वयमाणस्स कप्पइ रयहरगपडिग्गहगोच्छगमायाए तिहि य कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए. से य पुब्बोवदुविए सिया, एवं से नो कप्पइ स्यहरणपडिग्गहगोच्छगमायाए तिहि य कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए; कप्पइ से अहापरिग्गहियाई वत्थाई गहाय आयाए संपव्वइत्तए.
१६. निग्गन्थीए णं तप्पढमयाए संपव्वयमाणीए कप्पइ स्यहरणपडिग्गहगोच्छगमायाए चउहि य कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए. सा य पुव्वोवट्ठविया सिया, एवं से नो कप्पइ स्यहरणपडिग्गहगोच्छगमायाए चउहि य कसिंणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, कप्पइ से अहापरिग्गहियाई वत्थाई गहाय आयाए संपव्वइत्तए. १७. नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पढमसमोसरणुद्देसपत्ताई चेलाई पडिग्गाहेत्तए. १८. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा दोच्चसमोसरणुद्देसपत्ताई चेलाई पडिग्गाहेत्तए.
१९. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा आहाराइणियाए चेलाई पडिग्गाहेत्तए. ..२०. कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा आहाराइणियाए सेज्जासंथारयं पडिग्गाहेत्तए.

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