Book Title: Kappasuttam
Author(s): Walther Schubring
Publisher: Jivraj Chellabhai Doshi

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Page 29
________________ चउथो उद्देसओ. गणं उवसंपज्जितागं विहरितए, नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स गगावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अनं गगं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरि - नए कप्पर से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणा - चच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से वियरन्ति एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जि - चाणं विहरितए; ते य से नो वियरन्ति, एवं से नो ऋप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित ए. २३ १७. आयरियउवज्झाए य गणायवकम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरितए; नो कप्पइ आयरिय उवज्झायस्स आयरियउवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गगं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ आयरियउवज्झायस्स आयरियउवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पर से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए . ते य से वियरन्ति, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; ते य से नो ·

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