Book Title: Kalpniryukti
Author(s): Bhadrabahusuri, Manikyashekharsuri, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 84
________________ परिशिष्ट-२ १०१. पितरोभासण खीरे, जाइय 'रद्धेण सेणा उ'२ ॥ १००. पायसहरणं छेत्ता, 'पच्चागय दमग असियए सीसं'४ । भाउय सेणाहिवखिसणा,५ य सरणागतो जत्थ ॥ वाओदएण राई, नासति कालेण सिगय पुढवीणं । नासति दगस्सराई, पव्वयराई तु जा सेलो ॥ १०२. उदगसरिच्छा पक्खेणऽवेति चतुमासिएण सिगयसमा । वरिसेण पुढविराई, आमरणगती उ१० पडिलोमा ॥ १०३. सेलऽट्ठि-थंभ-दारुय, लता य वंसी११ य ‘मिंढ गोमुत्तं१२ । अवलेहणिया किमिराग-कद्दम-कुसुंभय-हलिद्दा१३ ॥ १०४. एमेव थंभकेयण, वत्थेसु परूवणा गतीओ य । 'मरुय-अचंकारिय'१४ पंडरज्ज-मंगू य आहरणा१५ ॥ १०४।१. चउसु कसाएसु गती, नरयतिरियमाणसे य देवगती । उवसमह णिच्चकालं, सोग्गइमग्गं वियाणंता१६ ॥ १०५. अवहंत गोण मरुए, चउण्ह वप्पाण उक्करो उवरिं । 'छोढुं मए मुवट्ठाऽतिकोवे'१७ ण१८ देमु१९ पच्छित्तं ॥ १०६. वणिधूयाऽचंकारियभट्टा' अट्ठसुयमग्गतो जाया । १. दमचेडरूवगा दट्ठ (निभा ३१८६) दट्टण १४. मरुयऽच्चंकारिय (ब, मु) । चेड० (अ, मु) । १५. निभा ३१९० । लद्धे य तेणा उ (अ, मु), रद्धे य तेणा निशीथ भाष्य में १०३ और १०४ की गाथा तो (निभा)। में क्रमव्यत्यय है । निभा में एमेव थंभ ३. मसियए (बी) । (३१९०) के बाद सेलऽट्ठि (३१९१) की ४. पच्छागय असियएण सीसं तु (निभा ३१८७)। गाथा है। लेकिन विषय वस्त की दृष्टि यह ५. खिसणाहिं (निभा), सेणावतिखि० (मु)। क्रम संगत नहीं लगता । ६. वाओदएहि (निभा ३१८८)। १६. गाथाओं के चाल क्रम में प्रस्तत गाथा केवल ७. सिगइपु० (ला, बी), । निशीथ भाष्य (३१९२) में मिलती है । ८. उदगस्स सतिं (निभा), उदगस्स सती (मु)।। आयारदशा की नियुक्ति में यह गाथा अप्राप्त ९. सरिच्छी (ला, बी) । है । संभव है यह निशीथ भाष्यकार द्वारा १०. य (ल, बी, निभा ३१८९) । भाष्य में बाद में जोड़ दी गई हो । ११. वंसे (निभा) । १७. छूढो मओ उवट्ठा अति० (निभा ३१९३), १२. मेंढ गोमुत्ती (निभा) । सुवट्ठाति० (मु)। १३. निभा (३१९१) में गाथा का, उत्तरार्ध इस ० १८. णो (अ)। प्रकार है-अवलेहणि किमि कद्दम १९. देसु (ला, बी) । कुसुंभरागे हलिद्दा य ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137