Book Title: Kahau Stambh evam Kshetriya Puratattv ki Khoj
Author(s): Satyendra Mohan Jain
Publisher: Idrani Jain

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Page 5
________________ प्राक्कथन कहाऊँ ग्राम परगना सलेमपुर से ५ कि.मी. दूर देवरिया जिले में है । यह स्थान दिगम्बर जैन तीर्थ है । इस स्थान पर नौवें तीर्थंकर श्री पुष्पदन्त स्वामी की दीक्षा सम्पन्न हुई एवं केवलज्ञान हुआ । खुखुन्दों ग्राम जहाँ श्री पुष्पदन्त स्वामी का गर्भ एवं जन्म हुआ वह स्थान यहाँ से १६ कि.मी. दूर है । खुखन्दों ही पुरानी काकन्दी नगरी है। कहाऊँ ग्राम में पुरातात्विक अवशेष के रूप में केवल एक स्तम्भ शेष है जिस पर ईसा की पांचवीं शताब्दी का एक लेख है । यह स्तम्भ एक महत्त्वपूर्ण अवशेष है जिसने ई. सन् १८०७ में बुकनान से आज तक लब्ध-प्रतिष्ठित पुरातत्वविदों का ध्यान आकृष्ट किया है । इस पुस्तक में इन पुरातत्वविदों के वर्णन को एकत्र कर प्रकाशित किया गया है एवं लेखक की टिप्पणी व निष्कर्ष दिये हैं। स्तम्भ में अब एक लम्बवत् दरार पड़ गई है। ऊपर की चारों एवं नीचे की मूर्तियाँ गलकर चप्पड़ छोड़ दी हैं । इस स्तम्भ का उचित रख-रखाव आवश्यक है । इस अध्ययन का यह ध्येय है कि इस स्तम्भ को संरक्षित करने की सही दिशा मिल सके। इस स्तम्भ का महत्त्व यों भी बढ़ जाता है क्योंकि दिगम्बर जैनों में स्तम्भ बनाने की परम्परा तो पुरानी है परन्तु जैन स्तम्भों का समग्र अध्ययन अभी नहीं हुआ है । अनुमान ऐसा है कि इससे पुराने भी कुछ स्तम्भों के प्रमाण मिलेंगे परन्तु संग्रहालयों में अथवा अपने स्थान से दूर कहीं अन्य स्थान पर लगाये गये होंगे । सम्भवत: यह सबसे पुराना दिगम्बर जैन स्तम्भ है जो अपने मूल स्थान पर खड़ा है। इस ग्राम से १६ कि.मी. पर पुरानी नगरी 'काकन्दी' के अवशेष हैं । वहाँ भी पुराने जैन अवशेष हैं जिन पर १९वीं शताब्दी के अंत में एक जैन मन्दिर बनाया गया है । यहाँ गुप्तकाल की एक मनोज्ञ जैन प्रतिमा विराजमान की गई थी, जो भूगर्भ से प्राप्त हुई थी। यह प्रतिमा सुरक्षा के अभाव में अभी कुछ समय पूर्व चोरी हो गई । वहाँ का विस्तृत पुरातात्विक अन्वेषण हो तो जैन इतिहास के कुछ रहस्य प्रगट होंगे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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