Book Title: Jinabhashita 2007 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 3
________________ रजि. नं. UPHIN/2006/16750 मार्च 2007 सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन कार्यालय ए/2, मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल- 462039 (म.प्र.) फोन नं. 0755-2424666 सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द्र लुहाड़िया, मदनगंज किशनगढ़ पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कँवरलाल पाटनी (मे. आर. के. मार्बल) किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश कुमार राणा, जयपुर प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) फोन : 0562-2851428, 2852278 सदस्यता शुल्क शिरोमणि संरक्षक 5,00,000रु. 51,000रु. 5,000रु. 500 रु. 100 रु. एक प्रति 10 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें। परम संरक्षक संरक्षक आजीवन वार्षिक मासिक जिनभाषित Jain Education International आचार्य श्री विद्यासागर जी के दोहे • कविता : कैसे मनायें जन्मजयन्ती • स्तवन अन्तस्तत्त्व • श्री मुनिसुव्रत नाथ - स्तवन • श्री नमिनाथ स्तवन सम्पादकीय : आचार्य कुन्दकुन्द पर आक्षेप : चुप रहकर अनुमोदना न करें : क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी : मुनि श्री योगसागर जी प्रवचन • जीवननिर्वाह नहीं, जीवन निर्माण • ब्रह्ममुहूर्त में जागरण लेख • क्या तत्त्वार्थसूत्र में अनुदिश का उल्लेख है ? • जिज्ञासा समाधान समाचार वर्ष 6, : आचार्य श्री विद्यासागर जी : मुनि श्री सुधासागर जी • भगवान् महावीर के विचार विश्वशान्ति के लिए जरूरी : डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती' • जैन समाज एवं संस्कृति पर उछलते प्रश्न : डॉ. अनेकान्त जैन For Private & Personal Use Only : मुनि श्री नमिसागर जी • जातिभेद पर अमितगति आचार्य : स्व. पं. जुगलकिशोर जी मुख्तार पंचोपचारी पूजा : स्व. पं. मिलापचन्द्र जी कटारिया • विद्वत्परिषद् की ओर से स्पष्टीकरण : • आम्नाय एक ही है : डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन : पं. रतनलाल बैनाड़ा लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है । 'जिनभाषित' से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्यायक्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा । अङ्क 3 पृष्ठ आ. पृ. 2 आ. पृ. 3 आ. पृ. 4 2 7 12 15 16 19 23 26 28 30 6, 29, 31, 32 www.jainelibrary.org

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