Book Title: Jinabhashita 2007 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 36
________________ रजि नं. UPHIN/2006/16750 कैसे मनाये जन्मजयन्त क्षुल्लक श्री ध्यान सागर जी रौब, रुपया, रूपका बना जमाना आज कल कैसे बच पायेगी संस्कति और समाज कैसे मनायें जन्मजयंती महावीर भगवान की? आज प्रेम सबसे महँगा है क्या कीमत है जान की? हाय! अहिंसा बिलख रही है महावीर भगवान की। रक्षक आज बना है भक्षक, किसके पास करे फरियाद? जड़-धन पर चेतन-धनका, अब भारत से होता निर्यात। मंदिर की घंटा-ध्वनियों से होता है जब प्रातः काल, चीत्कारते पशुओं का तब आता भीषण अंतिम काल॥ कैसे मनायें जन्मजयंती महावीर भगवान की? हिंदू मुस्लिम सिख इसाई जैनी या सिन्धी भाई, सत्य-अहिंसा-प्रेम यहाँ की सुंदर संस्कृति कहलायी। लेकिन अब यह देश हमारा, क्या भारत कहलायेगा? जब सारे पशुकट जायेगें भारत भी मिट जायेगा। कैसे मनायें जन्मजयंती महावीर भगवान की? खन-सने हैं शौक सभी के दया अभागिन रोती है. व्यसनों में ही आधी जनता अपना जीवन खोती है। भाई से भाई कतराता और बिलखती अबलायें, बच्चे जन्म नहीं ले पाते, हो जाती हैं हत्यायें॥ कैसे मनायें जन्मजयंती, महावीर भगवान की? जीवों में हो प्रेम परस्पर, सदा बड़ों का आदर-भाव, पीड़ित प्राणी पर करुणा हो, दुर्जन पर ना हो दुर्भाव। जो न तुम्हें अच्छा लगता हो, वह न करो और के साथ, आज कौन सुनता यह बातें बतागये जो जग के नाथ // कैसे मनायें जन्मजयंती महावीर भगवान की? सत्य-अहिंसा पर बापूने दृढ़ विश्वास जमाया था, जिसके बल पर आजादी का तब इतिहास बनाया था। उसी वतन का पतन हुआ है तड़प रही हर साँस जहाँ, अपना देश विदेशों को अब बेच रहा पशु-माँस यहाँ। कैसे मनायें जन्मजयंती महावीर भगवान की? भारत की पावन धरती पर, बढ़ता है जब हाहाकार, कहते हैं तब आकर कोई, महापुरुषलेता अवतार। यांत्रिक-बूचड़खानों में हाय! आज मरे प्राणी लाचार, संत हृदय ही रोक सकेगा, ऐसा भीषण अत्याचार॥ कैसे मनायें जन्मजयंती महावीर भगवान की? प्रेषक-जिनेंद्रकुमार हरीकिशन जैन अमरावती (महाराष्ट्र) स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, 210, जोन-1, एम.पी. नगर, Education. भोपाल (म.प्र.) से मुद्रित एवं 1/205 प्रोफेसर कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) से प्रकाशित / संपादक : रतनचन्द्र जैन। For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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