Book Title: Jinabhashita 2007 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 16
________________ जानना, अभी तो व्यवहार में । प्रारंभ में आत्मा के अंदर | निर्णय करना। तुम स्कूटर को ले जा रहे हो या स्कूटर तुम्हें प्रवेश करने का जो द्वार है, अभी यह जानना चाहिए। देख | ले जा रहा है? आप अंतिम निर्णय पर पहुचेंगे कि न स्कूटर रहा हूँ यह मैं नहीं हूँ, जो देख रहा है वह मैं हूँ। ऐसा परिणाम | हमें ले जाता है और न हम स्कूटर को ले जाते हैं। एक-दूसरे करके आप दस मिनट बैठिये और अपने आपका, आपा- | को ले जाते हैं। स्कूटर तुम्हें ले जाता है, तुम स्कूटर को ले पर का ज्ञान करिये कि मैं कौन हूँ ? उदाहरण के रूप में | जाते हो। इसी प्रकार से जब शरीर आत्मा को चलाता है, लीजिए- एक व्यक्ति रामलीला खेल रहा था और रामलीला | कान नाक आत्मा को चलाते हैं और आत्मा, नाक, कान को खेलते-खेलते लंका में आग लगाने का प्रसंग था। उस व्यक्ति चलाती है। आत्मा मर जाए तो नाक-कान बने रहेंगे,सब का घर का नाम था बिहारीलाल और रामलीला में वह बना समाप्त हो जायेंगे और आत्मा बनी रहे और नाक-कान फूट था बजरंगबली हनुमान। इधर हनुमान का आग लगाने जाना | जाय तो गड़बड़ हो जायेगी। इसलिए इनका संबंध है; लेकिन और उधर किसी ने आवाज लगा दी कि बिहारी लाल के | है तो पथक-पथका घर में आग लग गयी। ____मैं तो एक चैतन्यघन आत्मा हूँ। ज्ञानस्वरूपी हूँ। अपनी अब मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि एक ही व्यक्ति | आत्मा के स्वरूप का; जो गुरुओं से सुना हो, शास्त्रों में पढ़ा के दो नाम हैं, एक हनुमान और एक बिहारी लाल और दो | वैसा ही अपनी आत्मा के स्वरूप | वैसा ही अपनी आत्मा के स्वरूप का चिन्तन करना। वह कार्य करने हैं, एक आग बुझाना है और एक आग लगाना है। बिहारीलाल यदि नानी होगा तो वो कटेगा भाट में नागे आग लगाना छोड़कर बुझाने जाता है तो सारी आठ दिन की लंका पहले मैंघा की आग बयाने जाता है। अभी गालीला लंका, पहले मैं घर की आग बुझाने जाता हूँ। अभी रामलीला रामलीला का मजा किरकिरा हो जायेगा, क्योंकि उस दिन | खत्म हो जायेगी. लंका (नकली) जलकर राख हो जायेगी: ज्यादा लोग आते हैं जिस दिन लंका दहन होता है, लोग | लेकिन घर जलकर राख हो जायेगा तो यह तमाशा देखनेवाले विनाश को ज्यादा देखते हैं, उस दिन नहीं आयेंगे जिस दिन मेरा घर बनाने नहीं आयेंगे, कोई नहीं आयेगा। वह तमाशा रामचन्द्रजी कोई अच्छा काम करेंगे; लेकिन जिस दिन लंका | तो खत्म कर देगा और अपने घर की आग बझाने चला का विनाश होगा उस दिन लोग ज्यादा आयेंगे। वह यदि जायेगा। इसी प्रकार ज्ञानी व्यक्ति दुनिया भर के धंधे-पानी लंका में आग नहीं लगाता है तो लोग कहेंगे कि परिवार से | बंद कर देगा और अपनी आत्मा को संभालने में लग जायेगा। इतना मोह था तो हनुमान क्यों बना ? सारा मजा किरकिरा एक तो संसार में आग लगी है और एक अपनी कर दिया। लोग पत्थर मारेंगे। वह लोगों का मनोरंजन करेगा | आत्मा में आग लगी है। दो आगें लगी हैं। ब्रह्ममहर्त में या आग बुझाने जायेगा ? दूसरा प्रश्न यह है कि जब तुम्हें | उठकर विचार करो कि पहले कौन सी आग बझाऊं? सारी यह परिणाम आये कि मैं कौन हूँ और ऐसा लगे कि मैं शरीर | दुनिया में आग लगी है, तुम्हारे परिवार में आग लगी, तुम्हारे हूँ या आत्मा हूँ; तब किसकी रक्षा पहले करोगें ? लगता तो | मोहल्ले में आग लगी, तुम्हारे समाज में आग लगी, तुम्हारे यह है कि शरीर ही आत्मा है और आत्मा ही शरीर है। उस | मल्क में आग लगी और एक अपनी आत्मा में लगी। संसार समय तुम एक उदाहरण देख लेना कि नहीं, यह शरीर मुझे | की आग बुझाने जाओगे तो एक नाटक है, रामलीला है और चलाता है, शरीर न हो तो बोलना बंद हो जाता है, शरीर न हो | अपनी आत्मा की आग बनाने जाओगे तो तम बिहारीलाल तो सुनना बंद हो जाता है अरे, मैं कान नहीं हूँ। आपने | हो। अब दोनों में से तुम्हें निर्णय लेना है, कि कौन सी आग महाराज यह कह दिया और कान यदि बिगड़ जाय तो सुनना | बुझानी है? दुनिया की आग बुझानी है कि अपनी आत्मा की बंद हो जाय तो सुननेवाला कहाँ रहेगा? आपने कह दिया | आग बुझानी है ? आत्मा में आग लगी है, आवाज लगा दी है आँखें मैं नहीं हूँ तो आँखें फूट जाये तो मुझे दिखना ही बंद हो | गुरु ने, जैसे उस रामलीला में किसी ने आवाज लगा दी थी, जाये? इसलिए ऐसा लगता है कि आँख मैं हूँ, कान मैं हूँ, कि बिहारीलाल के घर में आग लग गयी, इसी प्रकार मैं भी रसना मैं हूँ, स्पर्शन मैं हूँ। तो उसके समझाने के लिए क्या | तुम्हारे लिए आवाज लगा रहा हूँ, कि तुम्हारी आत्मा में आग उदाहरण देना? आप स्कूटर से जाते हैं तो स्कूटर तुम्हें ले | लग गयी है और तुमने दुनिया की आग बुझाने के लिए, जाता है कि तुम स्कूटर को ले जाते हो? सच बताओ। स्कूटर | परिवार की आग बुझाने के लिए, देश की आग बुझाने के तुम्हें ले जाता है तो बैठ जाओ स्कूटर पर; ले जायेगा क्या? | लिए यह नाटकीय रूप धारण किया है। हनुमान बनकर तुम 'किक' कौन मारता है? स्कूटर से आया हूँ; इस वाक्य पर | आये हो दुनिया की आग बुझाने के लिए, दुनिया के सारे दोष 14 मार्च 2007 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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