Book Title: Jinabhashita 2006 11
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 3
________________ रजि. नं. UPHIN/2006/16750 नवम्बर 2006 सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन कार्यालय ए/2, मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल- 462039 (म.प्र.) फोन नं. 0755-2424666 सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द्र लुहाड़िया, मदनगंज किशनगढ़ पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कँवरलाल पाटनी (मे. आर. के. मार्बल) किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश कुमार राणा, जयपुर प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) फोन : 0562-2851428, 2852278 सदस्यता शुल्क शिरोमणि संरक्षक परम संरक्षक संरक्षक आजीवन वार्षिक 5,00,000रु. 51,000रु. 5,000रु. 500 रु. 100 रु. एक प्रति 10 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें। मासिक जिनभाषित Jain Education International अन्तस्तत्त्व प्रवचन : मानवता : आचार्य श्री विद्यासागर जी लेख • जीवन का अन्त करने की इच्छा सर्वोपरि • • • आचार्य श्री विद्यासागर जी के दोहे ● मुनि श्री क्षमासागर जी की कविताएँ स्तवन : मुनि श्री योगसागर जी • श्री श्रेयांसनाथ-स्तवन • श्री वासुपूज्यनाथ - स्तवन • सम्पादकीय : मृत्यु का कारण उपस्थित होने पर स्वधर्मरक्षा का प्रयत्न : सल्लेखना : श्री पानाचन्द जैन • नये सिरे से छिड़ी पुरानी बहस : श्री महीपसिंह यज्ञोपवीत और जैनधर्म : स्व. पं. नाथूराम जी प्रेमी • • वैदिक व्रात्य और श्रमण संस्कृति : प्रो. फूलचन्द्र प्रेमी वन्दना का व्याकरण : प्रा. पं. निहालचन्द्र जैन जैन समाज को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित किया जाय : अरुण जैन अब मिलायें सेहत की भी कुण्डली वर्ष 5, • जिज्ञासा समाधान : पं. रतनलाल बैनाड़ा समाचार For Private & Personal Use Only : डॉ. ज्योति जैन लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। जनभाषित से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्याय क्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा । अङ्क 11 पृष्ठ आ. पृ. 2 आ. पृ. 3 आ. पृ. 4 2 10 14 16 18 20 24 26 27 28 25, 31, 32 www.jainelibrary.org

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