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धर्म दिया। संसार के अनेक भागों में ये मिशनरी आज भी। हमारे देश में सदियों से दलितों के साथ जो अमानवीय यह कर्य कर रहे हैं। इसलाम के पूर्व अरब प्रदेश के लोग | व्यवहार होता रहा, उसने असंख्य लोगों को हिंदू धर्म छोड़ने अनेक छोटे-बड़े कबीलों में जी रहे थे। हजरत मुहम्मद ने | के लिए प्रेरित किया। हिंदू मानसिकता में आज भी विशेष उन्हें एक सूत्र में पिरोया, उन्हें कबीलाई मानसिकता से | परिवर्तन नहीं आया है। हमारा संविधान अस्पृश्यता को उठकार एक व्यवस्थित धर्म दिया, उन्हें एक धर्म-पुस्तक | अवैध घोषित करता है, किंतु देश के आंतरिक क्षेत्रों में आज दी, एक आस्था दी, बराबरी और बंधुत्व पर आधारित समाज- | भी अपने आपको ऊँची जाति का समझने वाले लोग दलितों व्यवस्था दी। अनेक देवी-देवताओं की पूजा से हटाकर एक | के साथ अकल्पित भेद-भाव बरतते हैं। मुझे लगता है कि ईश्वर (तौहीद) के साथ लोगों के जोडा।
हमारी समस्या धर्म-परिवर्तन की नहीं है। समस्या मानसिकता बौद्धधर्म भी अपनी समतामूलक भावना के कारण | में परिवर्तन की है। छुआछूत और भेदभाव-विरोधी कानून संसार के अनेक भागों में लोकप्रिय हुआ। नारी-मुक्ति में भी | को अधिक कठोरता से लागू किए जाने की आवश्यकता है। बौद्धधर्म की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इसमें भी कोई संदेह | किसी भी व्यक्ति के धर्म-परिवर्तन के अधिकार की छीना नहीं कि भय और प्रलोभन ने भी धर्मों के प्रसार में अपनी नहीं जा सकता। जिस व्यक्ति को अपने धर्म में बराबरी और भूमिका निभाई हैं। हाल में ही पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने | सम्मान नहीं मिलेगा, वह उसमें क्यों रहेगा? बौद्धों जैनों, पंद्रहवीं सदी का एक हवाला देते कहा कि इसलाम के | सिखों के संदर्भ में इस विधेयक में जो बातें कही गई हैं, उन्होंने प्रचार में तलवार का सहारा लिया गया। पोप के इस कथन अनावश्यक विवाद खड़ा कर दिया है। ये सभी धर्म इस देश की इसलामी संसार में तीव्र प्रतिक्रिया हई। पोप ने अपने इस | की मिट्टी से जन्में धर्म हैं और इनकी अपनी अलग पहचान है। कथन के प्रति खेद भी व्यक्ति किया, किंतु यह काम तो कुछ
इस पहचान पर प्रश्न चिन्ह लगते ही उनके अनुयायियों में ईसाइयों ने भी किया है। पंद्रहवीं सदी में पर्तगाल से आए | तीव्र प्रतिक्रिया होती है। इस समय यही हो रहा हैं । क्यों न वास्कोडिगामा ने जब गोआ और आस-पास के क्षेत्र पर | इस देश में जन्में सभी धर्मों, पंथों, मतों का एक कामनवेल्थ अपना आधिपत्य जमा लिया तो वहाँ के निवासियों को | बने और वे आपस में एक सार्थक संवाद करें?
(लेखक जाने-माने साहित्यकार हैं) जबरन ईसाई बनाने में उसने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।।
'दैनिक जागरण' भोपाल, अक्टूबर 2006 से साभार
गिरनार तीर्थ पर जैनों के अधिकारों की रक्षा का आश्वासन गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार ने पुरातत्त्व महत्त्व के जैन तीर्थ गिरनार पर जैनेत्तर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैधानिक अतिक्रमण और पूजा-पाठ नहीं करने देने के मामले में दस दिन से दिल्ली में सल्लेखना-समाधिमरण पर बैठे आचार्य मेरुभूषण जी तथा समाज को आश्वासन दिया कि गुजरात सरकार जैन समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने देगी तथा धार्मिक अधिकारों की रक्षा करेगी।
श्री गिरनार राष्ट्र-स्तरीय एक्शन कमेटी के सदस्य तथा गिरनार बचाओ प्रांतीय समिति के महामंत्री श्री निर्मलकुमार पाटोदी, अध्यक्ष माणिकचंद पाटनी तथा प्रचार-प्रसार कर्त्ता पं. जयसेन जैन ने जानकारी दी है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मामले में जैनसमुदाय की भावनाओं तथा बढ़ते असंतोष को देखते हुए गृहमंत्री अमितभाई शाह को अपने विशेष दूत के रूप में दिल्ली भेजा। वहाँ आचार्यश्री मेरुभूषण महाराज तथा उपस्थित जैन समाज के प्रतिनिधि नेताओं को गृहमंत्री ने आश्वासन दिया, जिसका सम्मान करते हए आचार्यश्री ने अपना आमरण सल्लेखना-समाधिमरण समाप्त कर ने कहा कि गिरनार का मामला न्यायालयों में विचाराधीन होने के कारण ज्यादा कहने की स्थिति में नहीं हैं।
ज्ञातव्य है कि पिछले दो दिन से पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी इस संबंध में गुजरात सरकार के सम्पर्क में थे तथा 12 अगस्त को प्रातः आडवाणी जैन लाल मंदिर गये और मेरुभूषण जी महाराज से सल्लेखना-समाधिमरण समाप्त करने की अपील की। आपने उपस्थित समुदाय के समक्ष कहा कि मैंने राज्य सरकार से न्यायोचित हल निकाले जाने का आग्रह किया है। इस मामले का ऐसा समाधान निकाला जाना चाहिए जिससे सामाजिक सौहार्द बना रहे।
निर्मलकुमार पाटोदी 22, जाय बिल्डर्स कॉलोनी, रानीसती गेट, इन्दौर (म.प्र.)
-नवम्बर 2006 जिनभाषित 17
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