Book Title: Jainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Author(s): Ajay Pratap Sinh
Publisher: Ilahabad University

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Page 205
________________ स्वप्न फ्रायड का मत है कि हमारे जीवन मे ऐसी बहुत सी इच्छाएँ होती हैं जो असामाजिक तथा अनैतिक होती हैं। सामाजिक संस्कार के प्रहरी जिन इच्छाओं को चेतन अवस्था में उभरने नहीं देते, स्वप्न में वही रूप बदल कर आते हैं। सभी स्वप्न इच्छापूर्ति हैं । 43 उनके मतानुसार स्वप्न - विश्लेषण अचेतन मानस की जानकारी प्राप्त करने का साधन है। प्रत्येक स्वप्न का एक अर्थ होता है तथा विचित्र से विचित्र स्वप्न की व्याख्या की जा सकती है। जैनेन्द्र ने स्वप्न द्वारा चित्रण किया है। सुखदा के स्वप्न - विश्लेषण में हम उसके अचेतन की इच्छा की पूर्ति हेतु प्रयत्नशील पाते हैं । सुखदा स्वप्न में देखती है कि कोई व्यक्ति उसके तकिये के नीचे पत्र रखकर जा रहा है ।" इस स्वप्न में सुखदा की लाल को प्रेम करने तथा उसके सामीप्य के लिए स्वतन्त्रता - प्राप्ति की इच्छापूर्ति है । पत्र रखने वाला हाथ सुखदा के पति कान्त का है, पति स्वयं घर छोड़कर जा रहा है। इससे सुखदा की लाल के प्रति आकृष्ट होने इच्छा की पूर्ति होती है, परन्तु साथ ही पति के चले जाने से स्वयं को अरक्षित अनुभव करने से उसकी चीख निकल जाती है। इस स्वप्न से सुखदा के अन्तर्जगत् की कुण्ठा व्यक्त होती है। दिवास्वप्न बिहारी गाँव जा रहा है, रेल में बैठे-बैठे वह आगे आने वाले जीवन का चित्र बनाता है, वह जाग्रतावस्था में भी कट्टो को लेकर तत्संबंधी तरह-तरह की योजनाएँ बनाता है। रेल चल रही है और 43 Dreams are one of the manifestations of the suppressed material.....finds ways and means of obstruding inself on conciousness during the night. Sigmund Freud-The Basic writing of Singmand Freud (Trans. A.A.Brill, Page - 559) 44 जैनेन्द्र कुमार - सुखदा, पृष्ठ-42-43 [175]

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