Book Title: Jainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna
Author(s): Ajay Pratap Sinh
Publisher: Ilahabad University

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Page 246
________________ अस्तु, निवेदन है कि प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में एक साहित्यकार का गवेषणात्मक विवेचन किया गया है, जो अबाध गति से साहित्य की रचना में संलग्न रहा तथा जिसने हिन्दी साहित्य को बहुमूल्य निधियाँ प्रदान की। शोधकर्ता को विषय की मर्यादा का पालन करना आवश्यक था, अतः कृतियों को ही समीक्षा हो सकी है। ऐसी स्थिति में प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में निष्कर्ष की अपनी सीमायें है। जैनेन्द्र कुमार का व्यक्तित्व एवं कृतित्व विराट है, जिसे किसी निश्चित विषय सीमा या शीर्षक के अन्तर्गत समेट पाना संभव नहीं है। अतः जैनेन्द्र कुमार के कथा साहित्य में शोध एवं विवेचन की अपार संभावनाएँ विद्यमान हैं। भावी शोधार्थियों के लिए प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध संदर्भ के रूप में दिशा-निर्देश देने में सहयोग प्रदान करेगा- इसी विश्वास के साथ यह शोध-प्रबन्ध विद्वज्जनों के समीक्षार्थ प्रस्तुत है। [215]

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