Book Title: Jain Vidya Ke Vividh Aayam
Author(s): Fulchandra Jain
Publisher: Gommateshwar Bahubali Swami Mahamastakabhishek Mahotsav Samiti

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Page 171
________________ (7) आचार्य कुन्दकुन्द कृतित्व - प्रवचनसार, नियमसार, समयसार, रयणसार, पञ्चास्तिकाय, बारसअणुवेक्खा अष्टपाहुड - ये सभी ग्रन्थ शौरसेनी प्राकृत भाषा में तथा कुरलकाव्य (तमिल-भाषा में) (8) आचार्य वट्टकेर कृतित्व - मूलाचार (शौरसेनी प्राकृत भाषा में रचित मुनियों के आचार से सम्बन्धित) (9) आचार्य उमास्वामी रचना - तत्त्वार्थसूत्र (10) आचार्य समन्तभद्र कृतियां - वृहत्स्वयंभूस्तोत्र, स्तुतिविद्या, देवागमस्तोत्र (आप्तमीमांसा), युक्त्यनुशासन, रत्नकरण्डश्रावकाचार जीवसिद्धि (11) पात्रकेसरी कृतित्व - त्रिलक्षणकदर्थन (12) आचार्य पूज्यपाद कृतियां - इष्टोपदेश, समाधितन्त्र, सर्वार्थसिद्धि (13) आचार्य अकलंकदेव कृतित्व- स्वतन्त्र ग्रन्थ- लघीयस्त्रय, न्यायविनिश्चयसंवृत्ति, सिद्धिविनिश्चयसंवृत्ति तथा प्रमाणसंग्रह टीकाग्रन्थ - तत्त्वार्थवार्तिक, अष्टशती (देवागमविवृत्ति) (14) आचार्य वीरसेन कृतित्व- षट्खण्डागम की धवलाटीका तथा कसायपाहुड की जयधवलाटीका 20 हजार श्लोक प्रमाण (15) आचार्य जिनसेन कृतित्व- पार्धाभ्युदय, आदिपुराण तथा जयघवला की शेष 40 हजार श्लोक प्रमाण टीका (16) आचार्य विद्यानन्द कृतित्व - स्वतन्त्रग्रन्थ- आप्तपरीक्षा, प्रमाणपरीक्षा, सत्यशासनपरीक्षा, श्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्र, विद्यानन्द महोदय - 161

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