Book Title: Jain Vidya Ke Vividh Aayam
Author(s): Fulchandra Jain
Publisher: Gommateshwar Bahubali Swami Mahamastakabhishek Mahotsav Samiti

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Page 181
________________ दक्षिण-भारत के लगभग सात शहीदों ने अपनी आहुति देकर भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। प्रस्तुत आलेख में इन सभी का विशेष परिचय, फोटो एवं स्मारकों के चित्र देने का प्रयास किया गया है। सोलापुर जिले के करकंबगांव के अमर शहीद मोतीचन्द शाह ने फांसी से पूर्व जेल में खून से एक पत्र लिखा था। राज्य के छोटे से ग्राम कड़वी शिवापुर (मुरगुड तहसील) के अमर शहीद वीर साताप्पा टोपण्णावर राष्ट्रीय तिरंगे के सम्मान की खातिर अंग्रेज आफीसर की गोली के शिकार हो गये। हातकणंगले, जिला सांगली महाराष्ट्र के अण्णा पत्रावले पुलिस गोली से शहीद हो गये। सांगली के एक चौक को उनका नाम दिया गया एवं वहाँ उनका स्टेच्यू लगाया गया है। कोल्हापुर महाराष्ट्र के ठिकपुर्ली ग्राम के भूपाल अण्णाप्पा अणस्कुरे पुलिस प्रताड़ना में शहीद हो गये। अमर शहीद भूपाल पण्डित, अमर शहीद भारमल, अमर शहीद हरिश्चन्द्र देगबोड़ा आदि देश के लिए शहीद हो गये थे। स्वतन्त्रता सेनानी से अध्यात्म की ओर आत्मस्वातन्त्र्य की भावना लिए परमपूज्य आचार्य विद्यानन्दं जी महाराज के अवदान को कैसे विस्मृत किया जा सकता है? इतिहास साक्षी है कि स्वाधीनता के इस महासमर में महिलाओं ने अपनी सामाजिक सीमाओं को ध्यान में रखते हुए पूरे जोश-खरोश के साथ कदम से कदम मिलाकर राजनैतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया था। यह वह समय था जब सामान्यत: महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर की चहारदीवारी तक ही सीमित था। फिर भी महिलाओं ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। स्वतन्त्रता की इस लड़ाई में जहाँ प्रत्यक्ष रूप से महिलाएँ सामने आयी वही उससे भी ज्यादा उनका परोक्ष रूप से योगदान मिला, जिसे यह समाज और देश कभी भूला नहीं पायेगा। दक्षिण-भारत की अनेक क्रान्तिकारी जैन महिलाएँ हुई जिन्होंने अपने जीवन को दांव पर लगाकर क्रान्ति की मशाल को जलाए रखा। जून 2001 में रणरागिणी क्रान्तिकारी महिला राजू ताई से बेलगांव-सांगली कीसीमा पर स्थित कुम्भोज बाहुबली में जब दर्शन किये तो अपने आपको हमने कृतकृत्य माना। दुभाषिएं की मदद से उन्होंने बताया कि कैसे गोवा से हथियार लाकर वे दक्षिण-भारत के क्रान्तिकारियों को देती थीं। पूज्य बापू के आश्रम (वर्धा) में रहने वाली कांचन जैन, सोलापुर की श्रीमती प्रभादेवी शाह, बयाबाई रामचन्द्र जैन, मीराबाई रमणलाल शहा, जिला सांगली की रतनबाई स्वरूपचन्द शाह, विमलाबाई गुलाबचन्द्र शहा, सरस्वतीबाई, पण्डिता सुमतिबेन शाह आदि अनेक महिलाओं ने भारत मां को परतन्त्रता की बेड़ियों से मुक्त कराया, जिनके अवदान से पूरा देश गर्वित है। दक्षिण-भारत के सभी जैन जेलयात्रियों ने जेल की दारुण यातनायें सहीं। अपना सब कुछ देश के लिए न्योछावर किया और देश को आजादी दिलायी उनकी सूची मात्र ही प्रस्तुत की जा सकेगी, क्योंकि लेख में सब कुछ दे पाना विस्तारभय से सम्भव नहीं है। लेख में दी गयी सभी सामग्री प्रामाणिक है और सभी के दस्तावेज हमारे पास सुरक्षित हैं। एक और प्रसंग का उल्लेख किये बिना यह लेख (सारांश) पूरा नहीं हो सकता वह है दक्षिण-भारत की जैन संस्था दक्षिण भारत जैनसभा'। यह संस्था जहां सामाजिक दायित्वों में अग्रणी रही वहीं देश की आजादी की लड़ाई में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सभा के एक अधिवेशन में सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी अर्जुनलाल सेठी सांगली गये थे जहाँ से वे दो युवकों को अपने साथ ले गये थे जिनमें एक थे देवचन्द जो, आचार्य समन्तभद्र -171 -

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