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(.१३०) जैन सुबोध गुटका। ये..सुग्रीव और हनुमान , बंभीक्षण · पास है ठाड़े: । दे विश्वास अब इनको, उठो लक्षमण उठो लक्षमणं ॥ ५ ॥ अगर नफरत हो लड़ने से तो, फिर बन को चलें वापस.। कुछ भी.तो कहो भाई, उठो लक्षमण उठों लक्षमणं । बिन देख के हमको, माता रो रो के पूछेगी । कहेंगे क्या जबां से तब, उठो लक्षसण उठो लक्ष्मण ।। ७ । जिसके लिए लें लशकर, खाके जोश आये यहां । मिटावे कौन दुख उसको, उठो लक्षमण उठो लक्षमण ॥ ८ ॥ दयालू शख्स के कहने से, विसल्ला को लाये हनुमान । भगी शक्ति सती को देख, उठे लक्षमण उठे लक्षमण || हुआ आराम लक्षमण को,पाया सुख राम और सेना । जीत रावण को ली सीता, उठे लक्षमण उठे लक्षमण ॥ १० ॥ हुआ-मङ्गल अयोध्या में आये जब राम और लक्षमण । चौथमल कहे . खुश घर घर, उठे लक्षमण उठे लक्षमण ॥ ११ ॥ ।:: ::
२०१ दया ही हिन्दुओं का खास धर्मः, . :: :: : (तर्गतलंगी-दादरा:). -.. .
प्यारे हिन्दू से कहना हमारारे । दया करना; ही धर्म तुम्हारारे ।। टेर । उत्तम कर्तव्य थे जो तुम्हारे, क्यों तुमने उसको विसागरे । प्यारे॥१: ।। दारु..नं पीनो मासन खात्री, खेलौनाकभी शिकारारे ।। २.॥: हिंसा से दूर रहे सो हिन्दू दिल में तो करों विचारारे ।।३।। हिन्दू घटें