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जन सुबोध गुटका।
टका।
: २६० कृष्ण माहमा...
(तर्ग-घनश्याम की महिमा अपार है) ___पावे न कोई पार श्री कृष्ण की महिमा अपार है. ।।टेगा वसुदेव देवकी रानी । जिनके जनमें सारंग प्राणी । भाद्रव जन्माष्टमी सार ।। श्री० ॥ १॥ वसुदेवजी फौरन आया, कोमल हाथ से नन्द उठाया।निकल भवन से बाहार |श्री०॥ ॥ २॥ लगे कंस का पहरा भारी: । सिंह शामा विविध प्रकारी लेवे नींद रस्त्रमार ।। श्री० ॥३॥श्रे कृष्ण का अंगुल अड़िया । ताला टूट तुरंत सब पड़िया। आये य. सुना तट पे तिहि बार ।। श्री० ॥ ४॥ गाज बीज ने वरसे पानी, करी सहाय देवता आनी । पहुंचा है मथुरा के द्व र ॥ श्री० ॥ ५॥ उलट पूर यमुना को जावे । मागे नहीं निकलवा पावे । करे वसुदेवजी विचार श्री० ॥६' कृष्ण पांव गया जल के लाग, यमुना जल का हुआ दो भाग। पैठा गोकुल के मंझार |.श्री०॥ ७ ॥ नन्द अहीर यशोदा रानी । जिनको सोपा मारंग प्राणी । लियो घर हर्ष अपार
श्री० ॥८॥ सुदेवजी पीछे पाए । इस. भेद को कोई न पाए । किया नन्दने महोत्सव श्रीकार ।।श्री० ॥ ला द्वितीय चन्द्रवत बढ़े गोपाल । निरख यशोदा रहे खुशहाल..। करे ' देवकी दर्शन वारंवारः। श्री०॥ १० ॥ गिरिराज पर्वत को धारा । काली नाग को नाथी डारा | धेनु चरावे मुरार |श्री॥ ॥११॥वंशी राग अलापेटेर। गोपियां फिरे हरि के लेर ।