Book Title: Jain Subodh Gutka
Author(s): Chauthmal Maharaj
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 301
________________ (२९०) जैन सुवोध गुटका। mammúrinnamanniminimininterromania छोडदे ॥२॥ मर्द औरत युवान देखी, तूं बताता बद चलन । बुढ़िया को कहे डाकण है, तोमत लगाना छोड़दे ॥३॥ सचे को झूठा कहे, ब्रह्मचारी को कहै लंपटी। कानून में इसकी सजा, तोमत लगाना छोड़दे ॥ ४॥ अपने पर खुद जुल्स दुनियां, देखलो ये कर रही । मालिक की मरजी कहे, तोमंत लगाना छोड़दे ॥ ५॥ जो देवे कलंक गैर के सिर, आचे उसी पर लौट कर । जैनागम यह कह रहा, तोमत लगाना छोड़दे ॥६॥ गीता पुराण कुरान अजील, देखले सवमें मना। इस लिये तूं बांज आ, तोमत, लगाना छोड़दे ॥७॥ गुरुके प्रसाद से कहे, चौथमल सुनले जरा। मान ले नसीहत मेरी, तोमत लगाना छोड़दे ।।८।। ३६५ चुगली निषेध. तर्ज-पूर्ववत् ].... साफ हम कहते तुझे, चुगली का खाना छोड़दे। चतु. दशवां पाप है, चुगली का खाना छोड़दे ॥टेर । चुगल खोर खीताय तुझको, नसीय वर होगा सही। ऐसे समझ कर बाज आ, चुगली का खाना छोड़दे ॥१॥ इसकी उसके सामने, और उसकी इसके सामने । क्यों भिड़ाता है किसे, चुगली का खाना.छोड्दे ॥२॥ जिसकी चुगली खाता है, इन्सान गर वह जानले । बन जायगा दुश्मन तेरा, चुगली का खाना

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