Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 02
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 11
________________ [२] पक्की जिल्द, बढ़िया कागज और सुन्दर छपाई से पुस्तक को बहुत ही आकर्षक रूप से तैयार किया गया है । इस दृष्टि से मूल्य बहुत कम है। सेठियाजी ने इसमें जो प्रयास किया है,उसके लिए हम उनको धन्यवाद देते हैं। 'स्थानकवासी जैन'(अहमदाबाद ता०१२-१-१९४१) श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह (प्रथम भाग) संग्रहकर्ता-भैरोंदानजी सेठिया, प्रकाशक, सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था, बीकानेर । पाकुं सोनेरी पुई, डेमी ८ पेजी साइजना पृष्ठ ५०० । कीमत रू०१) जैन फिलोसोफी केटली समृद्ध अने संगीन छ तेनो पुरावो आ ग्रन्थ अति संक्षेप मां पापी दे छ । अभ्यासी ने कया विषय पर जाणवू के तेनी माहिती अकारादि थी आपेल अनुक्रमणिका पर थी मली रहेछ । उपाध्याय श्रीआत्मारामजी महाराजे विद्वत्ताभरीभूमिका लखी छ। आज सुधी मां तत्त्वज्ञान विषय ने स्पर्शतां संख्या बंध पुस्तकों आ संस्था तरफ थी बहार पड्या छ । तेमां आ एक नो सुंदर उमेरो करी संस्थाए जैन समाजनी सुन्दर सेवा बजावी छ। श्रीमान् सेठ भैरोंदानजी सा० ७२ वर्ष नी वयना वृद्ध होवा छतां तोनी उदारता अने जैन धर्म प्रत्येनी अभिरुचि अने प्रेम केटलो छे ते तेमना पा संग्रह शोख थी जणाइ आवे छे । जैन समाजना अनेक धनिको पैकी मात्र ५-५० जो जैन साहित्य ना शोखीन निकले तो

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