Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 08 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 7
________________ ( vi ) प्र० १२-विकारी भावो को यथार्थ का नाम निश्चय क्यो कहा है? प्र० १२-शुद्व पर्याय का उपचार का नाम व्यवहार क्यो कहा है? प्र० १३-भूमिकानुसार शुभभावो को उपचार का नाम व्यवहार क्यो कहा है ? प्र० १४-द्रव्यकर्म नोकर्म को उपचार का नाम व्यवहार क्यो कहा है ? प्र० १५-चौथे गुणस्थान मे निश्चय-व्यवहार किस प्रकार है ? प्र० १६-पांचवे गुणस्थान मे निश्चय-व्यवहार किस प्रकार है ? प्र० १७-छठवे गुणस्थान मे निश्चय व्यवहार किस प्रकार है ? प्र० १८-चौथे गुणस्थान मे निश्चय व्यवहार के तीनो बोल समझाओ? प्र० १६-पाँचवे गुणस्थान मे निश्चय-व्यवहार के तीनो बोल समझाओ? प्र० २० छठवे गुणस्थान मे निश्चय-व्यवहार के तीनो बोल समझाओ? प्र० २१ ससाररुपी वृक्ष का मूल कौन है ? प्र० २२ मिथ्याभाव मे कौन-कौन आया? प्र० २३-सम्यक्भाव मे क्या-क्या समझना ? प्र० २४-मिथ्यात्व क्या है ? प्र० २५-मिथ्यात्व कैसा पाप है ? प्र० २६-स्थूल मिथ्यात्व क्या है ? प्र० २७ -सूक्ष्म मिथ्यात्व क्या ? प्र० २८ --अन्यमतावलम्बियो मे कौन-कौन आते है ? प्र० २६-मिथ्यात्व सात व्यसन से भी बडा पाप कहा बताया है? प्र० ३०-उभयावासी किसे कहते है ? प्र० ३१-उभयाभासी की खोटी मान्यताये कौन-कोन सी है ? प्र० ३२-अपने शब्दो मे, उभयावासी को कैसे पहिचाने ? प्र०.३३-निश्चयाभासी किसे कहते है ?Page Navigation
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