Book Title: Jain Satyaprakash 1938 10 SrNo 39
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 23
________________ Jain Education International [ 3 ] પાંચ પાંડવોં કી ગુફાએ' [ २३७ ] भिक्षुओं की जीविका के लिये भूमि अर्पण की थी जोकि दानपत्र से सिद्ध होता है। बौद्धगुफाएँ दो तरह की पाई जाती है एक तो चैत्य या मन्दिर और दूसरे मठ या बिहार । परन्तु बाग की गुफाएँ इस नियम से विलक्षण है इन गुफाओं में कुछ बिहार, कुछ अध्ययनशाला, कुछ भोजनशाला कुछ व्याख्यानशाला, कुछ ध्यानालय और कुछ निवासस्थान के रूप में हैं । पहाड़ी का वह भाग जिसमें इनका निर्माण किया गया है मुलायम तथा कर्कश होने के कारण इतना उपयुक्त सिद्ध नहीं हुआ जो लम्बे समय तक उड़ रहता। इसी लिये इनमें की बहुतसी गुफाएँ गिर गई जिनकी अमूल्य प्राचीन सामग्री बहुत कुछ नष्ट हो गई। ये गुफाएँ चित्रकारी के लिये बहुत प्रसिद्ध हैं, जिनमें पाषाण पर खुदी हुई सुन्दर मूर्तियों अच्छी नकाशी और बेटों का बड़ा ही रमणीय और दर्शनीय कार्य किया गया है । सम्भवतः पत्थरों की खराब हालत देख कर या अन्य किसी कारण से इनके बनानेवालोंने यहाँ चित्रकारी से अधिक काम लिया हो । दुई यश गुफाओं के गिर जाने से नयनाभिनन्दिनी चित्रकारी को भी बड़ा बड़ा पहुंचा है, पर वर्तमान में जितनी भी गुफाएँ बची हुई विद्य मान है ये बहुत ही उचकोटि की हैं। पाश्चात्य देशों को मध्ययुगीन चित्रकारी भी इनकी चित्रकारी की समता नहीं कर सकती पेसा इतिहासकारों का मत है । अज्ञानी लोगोंने इस चित्रकारी की बड़ी हानि की, किन्तु ग्वालियर स्टेट के पुरातन विभाग की ओर से इन गुफाओं को सब प्रकार से सुरक्षित कर दिया है। उसने इस स्थान के अंकित चित्रों के आधार पर आधुनिक प्रसिद्ध चित्रकारों द्वारा नवीन चित्रों का चित्रण करा कर ग्वालियर की राजधानी लश्कर में माधवम्यूजियम (अजायबघर में रखा दिया है जिनकी नकलों के छपे हुए चित्र गुफाओं में लगवा दिये हैं, जिन्हें देख उनकी प्राचीनता व सुन्दरता का अनुमान किया जा सकता है। देखने की सहूलियत के वास्ते गुफाओं पर नम्बर डाल दिये गये हैं। जिससे दर्शक लोग प्रत्येक गुफाओं के विवरण का सर्वदा के लिये स्मरण कर सकें गुफाओं की संख्या ९ है जिनमें कोई बडी है कोई छोटी और कोई समचौरस है । शिल्पदृष्टि से सभी गुफाएँ मिन भिन्न आकृतियों लिये आश्चर्य जनक है। (१) प्रथम नम्बर की गुफा का मण्डप २३४१४ फीट है और वह चार स्तम्भों पर अवलम्बित है। इसका आंगन और छत मजबूत चूने से जोणीद्वार (रिपेयरिंग ) किया हुआ है। आज पन्द्रह वर्षों तक हवा, पानी और पृथ्वीप्रकम्प को भारी बोटें लगने पर भी इसने अपने अस्तित्व को स्थिर रक्खा है, यही इसकी दृढ़ता का ज्वलन्त प्रमाण है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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