Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ प्राक्कथन (प्रथम संस्करण) . 'जैन साहित्य का बृहद् इतिहास' का प्रथम भाग-अंग आगम पाठकों की सेवा में प्रस्तुत करते हुए अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है । इसकी कई वर्षों से प्रतीक्षा की जा रही थी। द्वितीय भाग-अंगबाह्य आगम भी अति शीघ्र ही पाठकों को प्राप्त होगा। इसका अधिक अंश मुद्रित हो चुका है। आगे के भाग भी क्रमशः प्रकाशित होंगे। विश्वास है, विशाल जैन साहित्य का सर्वांगपूर्ण परिचय देनेवाला प्रस्तुत ग्रन्थराज आधुनिक भारतीय साहित्य में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त करेगा। यह ग्रंथ निम्नलिखित ८ भागों में लगभम ४००० पृष्ठों में पूर्ण होगा : प्रथम भाग-अंग आगम द्वितीय भाग:-अंगबाह्य आगम तृतीय भाग-आगमों का व्याख्यात्मक साहित्य चतुर्थ भाग-कर्मसाहित्य व आगमिक प्रकरण पंचम भाग-दार्शनिक व लाक्षणिक साहित्य षष्ठ भाग-काव्यसाहित्य सप्तम भाग--तमिल, कन्नड एवं मराठी जैन साहित्य अष्टम भाग-अपभ्रंश जैन साहित्य विभिन्न भागों के लेखन के लिए विशिष्ट विद्वान् संलग्न हैं। पार्श्वनाथ विद्या. श्रम शोध संस्थान इस भगीरथ कार्य को प्रामाणिक रूप से यथाशीघ्र सम्पन्न करने के लिए पूर्ण प्रयत्नशील है। प्रस्तुत भाग के लेखक निर्भीक एवं तटस्थ विचारक पूज्य पं० बेचरदासजी का तथा प्रस्तावना-लेखक, निष्पक्ष समीक्षक पूज्य दलसुखभाई का मैं अत्यन्त अनुगृहीत हूँ । संस्थान व मुझ पर आपकी महती कृपा है । मोहनलाल मेहता पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान अध्यक्ष वाराणसी-५ ३. ८. १९६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 348