Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1 Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 5
________________ - ४ - श्री भीमसेन और श्री हंसराज हैं । परिवार तातड़ गोत्रीय ओसवाल है । लाला मुनिलाल ज्येष्ठ भाई थे। ___ सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में उन्हें विशेष रुचि थी। शतावधानोजी की प्रेरणा से ही उन्हें 'श्री सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति' की प्रवृत्तियों में विश्वास हो गया था। यथाशक्ति वे इसके लिए धन एकत्रित करने में भाग लेते रहे । अपने पास से और परिवार से धन दिलाते रहे । वे उदारचित्त व्यक्ति थे। किसी पदादि के इच्छुक नहीं थे परन्तु साथियों के साथी, सहचरों के सहचर थे । स्थानीय जैन सभा के उपप्रधान और प्रधान वर्षों तक रहे । जैन परमार्थ फण्ड सोसायटी के वे आदि सदस्य थे। पदाधिकारो भो रहे । इसी प्रकार पूज्य अमरसिंह जीवदया भण्डार का कार्य वे चिरकाल तक स्व० लाला रतनचन्द के साथ मिलकर करते रहे। इन सब सफलताओं का श्रेय परिवार की ओर से प्राप्त जीवित सहकार पर है। उनकी मृत्यु दिसम्बर १९६४ के अन्त में स्वपत्नी के देहान्त के एक माह बाद हुई । उनकी पत्नी पतिभक्त भार्या थीं। हरजसराय जैन मंत्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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