Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1 Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय प्रथम संस्करण सन् १९५२ में जब पहली बार स्व० डा. वासुदेवशरण अग्रवाल से हिन्दू विश्वविद्यालय में साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने पथप्रदर्शन किया कि श्री सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति को जनविद्या के सम्बन्ध में कुछ प्राथमिक साहित्य प्रकाशित करना चाहिए । उसमें जैन साहित्य का इतिहास भी था। उन्होंने अपनी ओर से बड़ी उत्सुकता और उत्साह से इस कार्य को प्रारम्भ कराया। १९५३ में मुनि श्री पुण्यविजयजी की अध्यक्षता में इसके लिए अहमदाबाद में सम्मेलन भी हुआ। इतिहास की रूपरेखा निश्चित की गई। तब अनुमान यही था कि शीघ्र ही इतिहास पूर्ण होकर प्रकाशित हो जाएगा। परन्तु कारणवशात् विलम्ब होता चला गया । हमें खुशी है कि आखिर यह काम होने लगा है। जैनागमों के सम्बन्ध में रूपरेखा बनाते समय यही निश्चय हुआ था कि इतिहास का यह भाग पंडित बेचरदासजी दोशी अपने हाथ में लें। परन्तु उस समय वे इस कार्य के लिए समय कुछ कम दे रहे थे । अतः वे यह कार्य नहीं कर सकते थे। हर्ष की बात है कि इतने कालोपरांत भी यह भाग उन्हीं के द्वारा निर्मित हुआ है। जैन साहित्य के इतिहास के लिए एक उपसमिति बनाई गई थी। समिति उस उपसमिति के कार्यकर्ताओं और सदस्यों के प्रति आभार प्रकाशित करती है तथा पं० बेचरदासजी व पं० दलसुख भाई मालवणिया और डा० मोहनलाल मेहता का भी आभार मानती है जिनके हार्दिक सहयोग के कारण प्रस्तुत भाग प्रकाशित हो सका है। ___ इस भाग के प्रकाशन का सारा खर्च श्री मनोहरलाल जैन, बी० काम ( मुनिलाल मोतीलाल जैनी, ६१ चम्पागली, बम्बई २, अमृतसर और दिल्ली) तथा उनके सहोदर सर्वश्री रोशनलाल, तिलकचन्द और धर्मपाल ने वहन किया है । यह ग्रन्थ उनके पिता स्व. श्री मुनिलाल जैन की पुण्यस्मृति में प्रकाशित हो रहा है। वे जीवनपर्यन्त समिति के खजांची रहे। ___ लाला मुनिलाल जैन का जन्म अमृतसर में सन् १८९० (वि० सं० १९४७) में हुआ था, उनके अतिरिक्त लाला महताब शाह के तीन पुत्र श्री मोतीलाल, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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