Book Title: Jain Ras Sangraha Part 01
Author(s): Sagarchandra Maharaj
Publisher: Gokaldas Mangaldas Shah

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Page 188
________________ आचार्यश्री भ्रातृचंद्रसूरिग्रन्थमाला. पुस्तक ३७. ऋषिवरश्रीहीरराजसुप्र सादप्राप्तशिष्यश्रीयुतऋषिद्लभहुकृत महातपस्वी श्रीपुंजामुनिनो रास. संशोधकः–पूज्यपादश्रीभ्रातृचंद्रखरिशिष्यमुनिसागरचंद्रः (ढाल १ ली - सेजइ वसइरे पारेवडा - ए देशी.) सरसति सामिणी विनवुं, प्रणमी सहगुरु पाय लालरे । क्षमासमण गुण आगलो, ए गिरुओ ऋषिराम लालरे ॥ १ ॥ पंजराज गुण गाइए । ए आंकणी० गोरा पटिलको लाडिलो, धनुवाइ उयरि मल्हार लालरे । हलपति वंस सोहामणो, (रांतिज नगरे अवतार लालरे ॥ पूं० ॥ २ ॥ संवत सोलज सीतरे, आसाद वदि नोमि दिन लालरे । श्रीविमलचंदसुरि सुपस्टाउले, दीक्षा ग्रहण कीयो धन्न लालरे || पूं० ॥ ३ ॥ श्रीराजनगर सोहामणे, महूच्छव दीक्षा ऊदार लालरे । अभयदान दिओ भलो, षट्जीवां हितकार लालरे ॥ पूं० ॥ ४ ॥ साधु क्रिया पाले खरी, पंच महाव्रतधार लालरे । मास, खमण दस आगला, पचख्या एकण वार लालरे ॥ पूं० ५ ॥ मास खमण दोई भला, मुनिवरमांहि ईश लालरे । वीस वीस कीया सामद्रा, प्राष, खमण, चुंआलीश लालरे ॥ स घर

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