Book Title: Jain Paribhashika Shabdakosha
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 127
________________ शरीर - भोगो का आधार ; अनन्तानन्त पुद्गल परमाणुओ का समूह | शरीर - नाम - शरीर का कारणभूत कर्म । शरीरबंध -- पाँच शरीरो का पारस्परिक बन्धन | शरीरी - जीव । शलाका --- पल्य- विशेष ; एक प्रकार का नाप ; महापुरुष - २४ जिनदेव, १२ चक्रवर्ती, ६ वासुदेव, ६ प्रतिवासुदेव और ६ बलदेव - कुल ६३ मान्य पुरुष । शल्य -- काँटा ; पापानुष्ठान; विकार; पारमार्थिक चुभन ; पीडाकारी माया ; निदान | शान्ति - सन्ताप का उपशम । शासनदेवता- अर्ह व शासन के रक्षक देवी-देवता । शास्त्र - यथार्थ तथ्यो का उपदेष्टा ; विश्वसनीय एवं मार्ग - दर्शक ग्रन्थ शिथिलाचार - दोषपूर्ण / शिथिल ढीला आचरण । शिथिलीकरण - शारीरिक या स्नायविक हलन चलन, आकुंचन या प्रसारण का पूर्णतः शान्त किया जाना । [ ११६ ]

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