Book Title: Jain Paribhashika Shabdakosha
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 145
________________ स्कन्ध- - दो या दो से अधिक परमाणुओ के संयोग से उत्पन्न भौतिक तत्त्व | स्कन्धदेश -स्कन्ध का आधा भाग । स्कन्धप्रदेश - स्कन्धदेश का आधा भाग । स्कन्धवीज - कन्दभाग से पैदा होने वाली वनस्पतियाँ, जैसे कदली, पिंडालू आदि । स्तनदृष्टिदोष- कायोत्सर्ग का एक दोष ; स्तनो पर ध्यान केन्द्रित करना । स्तव - अर्हत- प्रार्थना | देखें - संस्तव । स्तुति - गुणो का बखान | देखें -स्तव । स्तेनप्रयोग - अचौर्य - अणुव्रत का एक अतिचार को चोरी करने के लिए प्रेरित करना । 2 अन्य व्यक्ति स्तेय - किसी वस्तु को उसके स्वामी की अनुमति के बिना ग्रहण करना; चोरी | स्तोक - सात प्राण / उच्छ्वास का एक स्तोक । स्त्रीकथा - स्त्रियों की कामोत्तेजक चर्चा करना । स्थंडिल - भूमिका - खुला मैदान ; शौच क्रिया के लिए प्रासुक स्थान | [ १३७ ]

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