Book Title: Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 112
________________ जैन संस्कृति १०७. जैन-धर्म : भारत के विविध अञ्चलों में बिहार भगवान महावीर के समय में उनका धर्म प्रजा के अतिरिक्त अनेक राजाओं द्वारा स्वीकृत था । वज्जियों के शक्तिशाली गणतन्त्र के प्रमुख राजा चेटक भगवान महावीर के श्रावक थे। वे पहले से ही जैन थे। वे भगवान पार्श्व की परम्परा को मान्य करते थे। वज्जी गणतन्त्र की राजधानी 'वैशाली' थी। वहां जैन-धर्म बहुत प्रभावशाली था। __मगध सम्राट् श्रेणिक प्रारम्भ में बुद्ध का अनुयायी था। अनाथी मुनि के सम्पर्क में आने के पश्च त् वह निम्रन्थ धर्म का अनुयायी हो गया था। इसका विशद वर्णन उत्तराध्ययन के बीसवें अध्ययन में है । श्रेणिक की रानी चेल्लणा चेटक की पुत्री थी। यह श्रेणिक को निग्रंथ धर्म का अनुयायी बनाने का सतत प्रयत्न करती थीं और अंत में उसका प्रयत्न सफल हो गया। मगध में भी जैनधर्म प्रभावशाली था। श्रेणिक का पुत्र कणिक भी जैन था। जैनआगमों में महावीर और कूणिक के अनेक प्रसंग हैं। मगध-शासक शिशुनाग-वंश के बाद नंद-वंश का राज्य बंबई के सूदूर दक्षिण गोदावरी तक फैला हआ था। उस समय मगध और कलिंग में जैन-धर्म का प्रभुत्व था ही, परंतु अन्यान्य प्रदेशों में भी उसका प्रभुत्व बढ़ रहा था। ___ नंद-वंश की समाप्ति हुई और मगध की साम्राज्यश्री मौर्यवंश के हाथ में आई। उसका पहला सम्राट चन्द्रगुप्त था। उसने उत्तर-भारत में जैन-धर्म का बहुत विस्तार किया। पूर्व और पश्चिम भी उससे काफी प्रभावित हुए । सम्राट् चन्द्रगुप्त अपने अंतिम जीवन में मुनि बने और श्रुतकेवली भद्रबाह के साथ दक्षिण में गए थे। चंद्रगुप्त के पुत्र बिंदुसार और उनके पुत्र अशोकश्री [सम्राट अशोक] हए। ऐसा माना जाता है कि वे प्रारंभ में जैन थे, अपने परम्परागतधर्म के अनुयायी थे और बाद में बौद्ध हो गए। ___अशोक के उत्तराधिकारी उनके पौत्र सम्प्रति थे। कुछ इतिहासज्ञ उनका उत्तराधिकारी उनके पुत्र कुणाल [सम्प्रति के पिता] को ही मानते हैं। किंतु कुछ जैन लेखकों के अनुसार कुणाल अंधा हो गया था, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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