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म्यारा वर्णन 1
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दरसन प्रतिमा प्रथम है, दूजी व्रत कार सीजी सामायक मदा, चौथी पोपहार ॥ १८ ॥ सचितत्याग है पंचमी, छठ्ठी दिन तिय त्याग | तथा रात्रि अनसन व्रता, धारे तपसों राम ॥ १६ ॥ जानों पढ़िमा सातवी, ब्रह्मचर्यव्रत धार । तजी नारि नागिन गिने, राजे मोह अंगार ॥ १० ॥ लौकिक वचन न बोलिवौ, सो दशमी बढ़भाग ।। २१ ।। एकादशमी दोय विधि, क्षुल्लक ऐलि विवेक ! है
डाहार, तिनमैं' मुनिप्रत एक ॥ ३२ ॥ ऐलि महा सकिष्ट है, ऐलि समान न कोय। मुनि आर्या अर ऐलिए, लिंग तीन शुभ होय || २३ || भाषी एकादश सर्वे, प्रतिमा नाम जु मात्र । अब इनको विस्तार सुनि, ए सब मध्य सुपात्र ॥ २४ ॥
चौपाई- -प्रथम हि वरशनप्रतिमा सुनों, आत्तमरूप अनूप जु गुणों ।
दरशन मोक्षबीज है सही, दरशन करि शिव परसन नहीं ||२५|| दरसन सहित मूळगुण धरै, सात विसन मन बच तन हहै । बिन अरहंत देव नहिं कोय, गुरु निरग्रन्थ बिना नहि होय ॥२६ जीवदया बिन और न धर्म इह निहवे करि टारे भर्म । संयम बिन तप होय न कदा, इह प्रतीति धारे बुध सदा ॥२५॥ पहली प्रतिमाको सो घनी, दरसनवंत कुमति सब हनी । आठ मूल गुण विसन जु सात, भाषे प्रथम कथन में भ्राता ||२८|| ans कथन कियौ अब नाहि, श्रावक वह आरम्भ तजाहिं । है स्वारथमै साचौ सदा, कूड़ कपट धारे नहि कदा ॥ २६ ॥ घरै शुद्ध व्यवहार सुधीर । परपीराहर है जगवीर । सम्यक दरसन हढ़ करि धरैः पापकर्मकी परणति हरे ॥३०॥ क्रय विक्रय कसर न कोय, लेन देनमै कपट न होय ।