Book Title: Jain Dharma ka Prachin Itihas Part 2
Author(s): Balbhadra Jain
Publisher: Gajendra Publication Delhi
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नामानुक्रमणिका (पं.) रूपचन्द ५४४ लक्ष्मो चन्द्र ४६५ लक्ष्मणदेव ३५७ (कवि) लालू या लक्ष्मण ३६१ लोक सेन १८८ लंगो वाडिगल ६१ (महामुनि) वऋग्रीव २२५ वजनन्दी १२६ बर्द्धमान भट्टारक ४४२ बसुनन्दी ३५१ (कवि) वाग्भट ४२० वाग्भट (नेमि निर्वाण काव्य के कर्ता) ३११ (भ०) वादि चन्द्र ५३२ वादिराज २४६ वादिराज (द्वितीय) ४३२ (कवि) बादिराज ५५२ वादि विद्यानन्द ५४२ बादीन्द्र विशाल कोति ४१३ बादीभसिंह १६८ वायुभूति (गणधर) २५ वावन नन्दी मुनि वासव चन्द्र मुनीन्द्र ३७३ वासव नन्दी २४० पासव सेन ४१३ विजय कीति ३७९ विजय कीति मुनि १६० विजय देव पंडिताचार्य १६७ विजय वर्णी (शृंगारार्णवचंद्रिका) ४१६ (बुध) विजयसिंह ४६E (भ०) विद्यानन्द(माचार्य) विद्यानन्द १६८ विद्यानन्द ४५५ (भट्टारक) विद्याभूषण ५३६ (मुनि) विनय चन्द्र ३६८ (मुनि) विनय चन्द्र ३८७ विनयसेन २०५ विमल कीति ३६६ विमल कीति ४२८ विमल चन्द्र मुनीन्द्र २२५ विभल चन्द्राचायं १६१ विमलसेन पंडिस २७६
विष्णु नन्दि (श्रुत केवली) ४६ (भ०) विश्वसेन ५३८ विशेषवादि १६१ (महाकथि) वीर २६७ मीर कति या बुधवीरु ५२९ वीरदेव ११२ वीरनन्दि सिद्धान्त चक्रवर्ती २६० वीर नन्दी (माचारसार के कर्ता) ३३५ वीरसेन २७० वीरसेन २८६ वीरसेन पंडित देव ३६० वृति विलास ३३० वृषभ नन्दी १६७ वृषभनन्दी (जीतसार समुचय कर्ता) २५६ शाकटायन (पाल्यकीति) १॥ शामकुण्डाचार्य १५८ शान्तिदेव २८८ शान्तिनाथ २५८ शान्तिषण ३७१ शिवकोटि (शिवार्य) १०४ पंडित शिवाभिराम ५५० (कवि) शिशु मायण ४२६ (भ०) शुभकीति ४८४ शुभचन्द्र योगी ४३१ (भ०) शुभचन्द्र ४६ स्मा) शुभचन्द्र ५०१ (प्रा.) शुभचन्द्र ३०३ शुभ नन्दी १३७ श्रो कीति ४३० श्रीकुमार कवि (प्रात्म प्रबोध के कर्ता) २६७ श्री चन्द्र कथाकोशकर्ता ३४३ श्री दत्त ११३ श्री दत्त (द्वितीय) ११३ श्री देव १८९ (कवि) श्रीधर ३६६ (कवि) श्रीधर ३८६ (कवि) श्रीधर ४४१ (कवि) श्रीधर ३४४ श्रीधर ३७३ श्रोषरसेन (विश्वलोचन कोष) ४१५ श्रीपालदेव १७४

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