Book Title: Jain Dharm Prakash 1948 Pustak 064 Ank 02 03
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra PARYAYV Me www.kobatirth.org ईश्वरस्वरूप om Sing Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न छेपी है न रागी है, सदानंद वीतरागी है । वह सब विषयों का त्यागी है, जो ईश्वर है सो ऐसा है ॥ टेक ॥ न खुद घट-घट जाता है, मगर घट घट का ज्ञाता है । वह सत उपदेशदाता है, जो ईश्वर है सो ऐसा है नकर्ता है न हर्ता है, नहीं अवतार धरता है । मारता है न मरता है, जो ईश्वर है सो ऐसा है शान के नूर से पुर नूर है, है जिसका नहीं साथी । सरासर नूर नूरानी, जो ईश्वर है सो ऐसा है न क्रोधी है न कामी है, न दुश्मन है न हामी है । वह सारे जग का स्वामी है, जो ईश्वर है सो ऐसा है वह जाते पाक है दुनियां, के झगड़ों से मुबर्रा है । आलिमुल ठीक है वे ऐव, जो ईश्वर है सो ऐसा है दयागय है, शान्ति रस है, परम वैराग्य मुद्रा है 1 न जाविर है न काहिर है, जो ईश्वर है सो ऐसा है निरंजन निर्विकारी है, निजानंद रस विहारी है सदा कल्याणकारी है, जो ईश्वर है सो ऐसा है न जगजंजाल रचता है, करम फल का न दाता वह सब बातों का शाता है, जो ईश्वर है सो ऐसा है वह सच्चिदानंदरूपी है, ज्ञानमय शिवस्वरूपी है । सदा कल्याणकारी है, जो ईश्वर है सो ऐसा है जिस ईश्वर के ध्यान सेती, बने ईश्वर कहे न्यामत्त । वही ईश्वर हमारा है, जो ईश्वर है सो ऐसा है 1 1 For Private And Personal Use Only ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ 11 3 11 ॥ ४ ॥ ॥ ५ ॥ ॥ ६ ॥ ॥ ७ ॥ || 201 118 11 ॥ १० ॥ राजमल भण्डारी - आगर ( मालवा ) SRS 969595262646466 Y Y - ( 30 ) - 9896 97 969696697! i

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