Book Title: Jain Dharm Ka Parichay Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 9
________________ से हिन्दी में हुआ / शीघ्र ही दिव्य दर्शन साहित्य समिति-अहमदाबाद ने 'जैन धर्मनो सरल परिचय - भाग 1' नाम से उस का गुजराती संस्करण प्रकाशित किया / पूज्य श्री के तत्त्वावधान में प्रतिवर्ष ग्रीष्मावकाश में आयोजित 'जैन धार्मिक शिक्षण शिबिर' में इस पुस्तक के आधार पर शिबिरार्थियों को जैन धर्म के तत्त्वज्ञान का अभ्यास कराया गया / सरल और उपयोगी होने से अब यह पुस्तक इस शिबिर के पाठ्यपुस्तक का रूप धारण कर चुकी हैं / इसकी उपयोगिता बढ़ने पर दिव्य दर्शन साहित्य समिति ने इस की दूसरी तीसरी व चतुर्थ आवृत्ति भी प्रकाशित की / दिव्यदर्शन ट्रस्ट की ओर से आज "जैन धर्म परिचय" के पंचम गुजराती संस्करण का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करते हुए हमें आनंद का अनुभव हो रहा है / पूर्व प्रकाशित आवृत्तियों की अपेक्षा इस आवृत्ति में आवश्यक और अधिक संशोधन किया गया है / यह संशोधन भी पूज्य आचार्य श्रीजी ने स्वयं किया है / विद्यालयों और महा- विद्यालयों के छात्रों को समझने में कठिनाई न हो, इस उद्देश्य से प्रत्येक प्रकरण में संशोधन-परिमार्जन किया गया है / उग्र विहारअस्वस्थता और चालू तपश्चर्या के साथ भी आपने बड़ी सावधानी से इस पुस्तक का पूरा मेटर आदि से अन्त तक देखा है, व जाँचा है और उसमें सुधार किया है /Page Navigation
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