Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta
Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
________________
|* 111 I
1. IN
૫૧૬
હૈમ સંસ્કૃત ધાતુરૂપાવલી : ભાગ-૧ लोक् - ५.५. हो, म न. ४२j (सेट) વર્તમાન
'श्वस्तनी लोकयामि लोकयावः लोकयामः | लोकयितास्मि लोकयितास्वः लोकयितास्मः लोकयसि लोकयथः लोकयथ लोकयितासि लोकयितास्थः लोकयितास्थ लोकयति लोकयतः लोकयन्ति | लोकयिता लोकयितारौ लोकयितारः વ્યસ્તની
ભવિષ્યન્તી, अलोकयम् अलोकयाव अलोकयाम | लोकयिष्यामि लोकयिष्यावः लोकयिष्यामः . अलोकयः अलोकयतम् अलोकयत | लोकयिष्यसि लोकयिष्यथ: लोकयिष्यथ अलोकयत् अलोकयताम् अलोकयन् | लोकयिष्यति लोकयिष्यतः लोकयिष्यन्ति વિધ્યર્થ
यात्तिपत्यर्थ लोकयेयम् लोकयेव लोकयेम । | अलोकयिष्यम् अलोकयिष्याव अलोकयिष्याम लोकयेः लोकयेतम लोकयेत | अलोकयिष्यः अलोकयिष्यतम् अलोकयिष्यत लोकयेत् लोकयेताम् लोकयेयुः । अलोकयिष्यत् अलोकयिष्यताम् अलोकयिष्यन् मार्थ
माशीर्वार्थ लोकयानि लोकयाव, लोकयाम | लोक्यासम् लोक्यास्व लोक्यास्म लोकय लोकयतम् लोकयत | लोक्याः लोक्यास्तम् लोक्यास्त लोकयतु लोकयताम् लोकयन्तु | लोक्यात् लोक्यास्ताम् लोक्यासुः પરીક્ષા
. अद्यतनी (७ भो ॥२) लोकयाञ्चकार/ लोकयाञ्चकृव लोकयाञ्चकृम | अलुलोकम् अलुलोकाव अलुलोकाम लोकयाञ्चकर
अलुलोक: अलुलोकतम् अलुलोकत लोकयाञ्चकर्थ लोकयाञ्चक्रथु:लोकयाञ्चक्र | अलुलोकत् अलुलोकताम् अलुलोकन् लोकयाञ्चकार लोकयाञ्चक्रतुः लोकयाञ्चक्रुः
lit 11 |
Page Navigation
1 ... 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298