Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 02
Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta
Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala

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Page 275
________________ अरचयम अर्थापयम् | अर्पयेयम् अर्पयानि आर्पये ૫૫૪ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી : ભાગ-૧ દશમા ગણના પ્રેરક धातु | वर्तमान | स्तनी | विध्यर्थ | भाशार्थ | श्वस्तनी गण ५.५. | गणयामि अगणयम् गणयेयम् गणयानि गणयितास्मि गण मा.५. | गणये अगणये गणयेय गणयै |गणयिताहे रच् ५.५. | रचयामि रचयेयम् | रचयानि रचयितास्मि रच् मा.५. रचये अरचये रचयेय रचयै रचयिताहे ___५.५. | अर्थापयामि अर्थापयेयम् अर्थापयानि अर्थापयितास्मि मा.५. अर्थापये |आर्थापये | अर्थापयेय अर्थापयै अर्थापयिताहे गर्दा ५.५. / गर्जयामि अगर्जयम् गर्जयेयम् गर्जयानि गर्जयितास्मि मा.५. गर्जये अगर्जये | गर्जयेय गर्जयै गर्जयिताहे ५.५. क्षालयामि अक्षालयम् | क्षालयेयम् क्षालयानि | क्षालयितास्मि मा.५. | | क्षालये अक्षालये क्षालयेय क्षालय |क्षालयिताहे ५.५. | अर्पयामि आर्पयम् अर्पयितास्मि मा.५. | अर्पये अर्पयेय अर्पयै अर्पयिताहे मृग ५.५. मृगयामि अमृगयम् | मृगयेयम् मृगयानि मृगयितास्मि . मा.५. मृगये अमृगये मृगयेय मृगयिताहे ५.५. | मूलयामि अमूलयम् मूलयेयम् मूलयितास्मि मा.५. अमूलये मूलयेय मूलयिताहे ५.५. वर्जयामि अवर्जयम् वर्जयानि वर्जयितास्मि मा.५. | वर्जये अवर्जये वर्जयेय वर्जयै वर्जयिताहे __५.५. | मानयामि । अमानयम् मानयेयम् मानयानि मानयितास्मि मा.५. | मानये अमानये मानयेय मानयिताहे __ ५.५. लोकयामि अलोकयम् | लोकयेयम् लोकयानि लोकयितास्मि मा.५. | लोकये अलोकये लोकयेय लोकयै लोकयिताहे ५.५. कीर्तयामि अकीर्तयम् कीर्तयेयम् कीर्तयानि कीर्तयितास्मि ___ .. | कीर्तये अकीर्तये | कीर्तयेय कीर्तयै कीर्तयिताहे छद् ५.५. | छादयामि अछादयम् | छादयेयम् छादयानि छादयितास्मि मा.५. | छादये अछादये | छादयेय . छादयिताहे लल् ५.५. | लालयामि अलालयम् | लालयेयम् लालयानि लालयितास्मि लल् मा.५. | लालये अलालये | लालयेय लालय लालयिताहे वञ्च् ५.५. | वञ्चयामि | वञ्चयेयम् वञ्चयितास्मि वञ्च् मा.५. | वञ्चये अवश्चये | वञ्चयेय वञ्चयिताहे युज् ५.५. | योजयामि अयोजयम् | योजयेयम् योजयानि योजयितास्मि युज् मा.५. | योजये अयोजये | योजयेय योजय योजयिताहे मृगयै 啊啊阿阿啊啊啊啊珊珊珊珊贝贝贝网时时丽丽丽丽丽丽网网丽丽 मूलयानि मूलयै मूलये WEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE वर्जयेयम् मानयै छादयै अवञ्चयम् वञ्चयानि वञ्चयै

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