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श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा आज इतना प्रसिद्ध हो गया है कि इसके साथ तीन नाम जुड़ गये हैं - प्रथम आचार्य श्री कैलाससागरसूरि की पावन स्मृति, द्वितीय आचार्य श्री पद्मसागरसूरि म. सा. की प्रेरणा से विकसित यह तीर्थ तथा तृतीय अपने आप में अनुपम आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर। इनमें से किसी का भी नाम लेने पर स्वतः ये तीन स्वरूप उभर कर आते हैं। ये तीनों एक दूसरे के
पर्याय बन चुके हैं। आचार्य श्री कैलाससागरसूरि अहमदाबाद-गांधी नगर राजमार्ग पर स्थित यह तीर्थ साबरमती नदी के समीप सुरम्य वृक्षों की घटाओं से घिरा हुआ प्राकृतिक शान्तिपूर्ण वातावरण का अनुभव कराता है। गच्छाधिपति, महान जैनाचार्य श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रशिष्य राष्ट्रसंत, आचार्य प्रवर श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शुभाशीर्वाद से यहाँ श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की स्थापना 26 दिसंबर 1980 के दिन की गयी थी। आचार्यश्री की यह
महावीरालय
इच्छा थी कि यहां ज्ञान और धर्म-प्रवृत्तियों का महासंगम हो। एतदर्थ आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. की स्मृति में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर का भी निर्माण किया गया। आज श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र अनेकविध प्रवृत्तियों में अपनी विभिन्न शाखाओं-प्रशाखाओं में विकसित हो चुका है और विस्तारण कार्य प्रगति पर है। महावीरालय: हृदय में अलौकिक धर्मोल्लास जगाने वाला अतिभव्य जिनेश्वर महावीरस्वामी का प्रासाद महावीरालय निर्मित किया गया है। प्रथम तल पर गर्भगृह में मूलनायक महावीरस्वामी आदि 11 प्रतिमाओं के दर्शन अलग-अलग देहरियों में होते हैं तथा भूमि तल पर आदीश्वर भगवान
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