Book Title: Gobhil Gruhya Sutram
Author(s): Chandrakant Tarkalankar
Publisher: Calcutta Rajdhani
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१०७०
श्राद्ध कल्पः।
[
का.]
द्यूतहिः पद्याम् ॥ ७॥ द्यूतेन,
"अप्राणिभिर्यत् क्रियते तल्लोके द्यूतमुच्यते”। इत्युक्तलक्षणोन, ऋद्धिर्धनोपचयः ॥ ७ ॥
कृषिः सप्तम्याम् ॥८॥ कृषिः कृष्याधनोपचयः । तथाचापस्तम्बः। “सप्तमे कृषिद्धिः"इति ॥८॥
अष्टम्यां वाणिज्यम् ॥ पूर्ववदर्थः ॥८॥
___ आरोग्यं नवम्याम् ॥ १० ॥ ज्वयं सूत्रम् ॥ १० ॥
दशम्यां गावः॥११॥ इदमपि ऋज्वर्थम् ॥ ११॥
परिचारकाएकादश्याम् ॥१२॥ ज्वर्थमेव ॥ १२॥
हादश्यां धनधान्यं कुप्य५ हिरण्यञ्च ॥ १३ ॥ धनपदं धान्यादिभिनधनपरम्। कुष्यं सुवर्णरजताभ्यामन्यत्। 'कुष्यं रौप्यं हिरण्यञ्च'-इति केचित् पठन्ति ॥ १३ ॥
ज्ञातियञ्च त्रयोदश्याम् ॥ १४ ॥ चशब्दात् धनधान्यादिकञ्च ॥ १४ ॥
* वाणिज्यमठम्याम्, इति पाठान्तरम्।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606