Book Title: Gautam Charitra Author(s): Dharmchandra Mandalacharya Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya View full book textPage 3
________________ प्रकाशकीय निवेदन हमारे धार्मिक साहित्यमें पुराण एवं चरित्रोंको एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हमारे :आचायों ने केवल ऐतिहासिकताकी दृष्टिसे ही नहीं, वरन् सर्व साधारणके लिये धर्मतत्व बोध गम्य बनानेके उद्देश्यसे उपरोक्त ग्रन्थोंका निर्माण किया है । यह निसंदेह कहा जा सकता है कि, जैनधर्मके तत्वों की यथार्थ रूपसे जानकारीके लिये जितने सुगम पुराण और चारित्र हैं, उतने दार्शनिक ग्रन्थ नहीं । कारण दार्शनिक ग्रंथोंमें धार्मिक तत्वोंका विवेचन जिस ढंगसे किया गया है, वह मामूली पढ़े लिखे लोगोंको कठिन पड़ता है। उनसे सर्व साधारण जनताके लिये धर्म सम्बम्धी ज्ञान प्राप्त कर लेना, कठिन अवश्य है । हमारे पुराण एवं चरित्रोंकी रचनायें प्राचीन कालमें हुई थीं। उनकी तत्कालीन साहित्य प्राकृत एवं संस्कृत भाषामें होनेके कारण आजके युगमें उनका अध्ययन केवल संस्कृतज्ञों तथा विद्वानों तक ही सीमित रह जाता है-उनका सार्वभौम प्रकाश सर्व साधारण तक नहीं पहुंच पाता। प्राचीन युगके साथ साथ प्राचीन भाषाओं (संस्कृत एवं प्राकृत ) के प्रसारमें भी बहुत शिथिलता आ गयी है। अत: इस युगमें धार्मिक ग्रन्थोंके हिन्दी प्रकाशनसे ही धार्मिक-ज्ञान सर्व साधारण तक पहुंचाया जा सकता है। प्रस्तुत ग्रंथ भी उच्च कोटिके चरित्रका हिन्दी रूपान्तर है। श्रीगौतम स्वामीPage Navigation
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