Book Title: Fulo ka Guccha
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ निवेदन | इस पुष्पगुच्छ में सौन्दर्य है, माधुर्य है, कोमलता है और सुरभि भी है। इससे आशा है कि हिन्दी के रसिक एक नई वस्तु समझकर इसका आदर करेंगे और इसे अपने स्वाध्यायकी मेजपर स्थान देनेकी कृपा दिखलावेंगे । इस संग्रह ११ कहानियाँ हैं । इनमेंसे दोको छोड़कर शेष सब बंगला भाषासे अनुवादित हैं, - 'वीर-परीक्षा' गुजरातीसे और 'शिष्य-परीक्षा' मराठीसे ली गई है । प्रायः इन सब ही कहानियोंके मूल लेखक अपने अपने साहित्य के ख्यातनामा लेखक हैं । इस संग्रहकी ६ कहानियाँ 'जैनहितैषी ' में प्रकाशित हो चुकी हैं और उनमें कञ्छुका, जयमाला तथा ऋणशोध ये तीन मेरे प्रिय मित्र पं० शिवसहाय चौबेकी अनुवाद की हुई हैं । सम्पादक ।

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 112