Book Title: Epigraphia Indica Vol 01
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 358
________________ PRASASTI OF VADIPURA-PARSVANATHA AT PATTANA. 323 Moreover,asister, probably of Ratnakumyaraji, named Baf Vachhi, and adaughter, Bdi Jivani, are mentioned as co-founders of the temple. The image of the temple was consecrated in (Vikrama) Samvat 1652, in the Allái, i. e., Ilahi year 41, on the twelfth lunar day of the dark half of Vaisakha, a Monday, under the constellation Revati. The Ilâbi year 41 began on the 10-11th March of 1596." The Vikrama year must be, as the preceding date (1.36) Samvat 1652, MAgha sudi 12, shews-the southern one, which began on Karttika sudi 1 in A.D. 1596. The date corresponds according to Dr. Schram's calculation with Thursday, May 13, A. D. 1596. TEXT. L. 1. ॥ौं । स्वस्ति श्रीवाडीपुरपायजिनसंघचैत्वकाराय । समीमुदयं श्रेयः । प सनसंस्खः करीत सदा ॥ १ [.]" श्रीवाडीपुरपार्श्वनाथचेत्थे । श्रीमत् खरतरगुरुपावली3. लिखनपूर्व प्रथस्तिलिख्यते । पई नत्वा । पातिसाहिबीपकबरराज्ये । श्रीविक्रमवृपसम-" 4. यासंवति १५५१ मार्गशीर्षसितनवमीदिने सोमवार । पूर्वभद्रपदनक्षवे। अभवेला5. यां पादिप्रारंभः । शासनाधीशश्रीमहावीरखामिपहाविच्छिनपरंपरया उद्यत् विहाराशी-18 6. तिचीउद्योतमसूरि । तत्पप्रभाकरप्रवरविमलदंडनायककारितार्बुदाचलवसतिप्रतिष्ठापक।" 7. श्रीसीमधरखामियोधितरिमंत्राराधकत्रीवर्धमानसूरि । तत्पड । पहिलपत्तनाधी।" 8. शदुर्लभराजसंसञ्चैत्यवासिपक्षविक्षेपाशीत्यधिकदशशतसंवत्सरप्राप्तखरतरवि9. रुदश्रीजिनेवरसूरि । तत्प० । श्रीजिनचंद्रसूरि । तत्पथ । शासनादेव्युपदेशप्रकटित10. दुष्टकुष्टप्रमाथहेतुस्तंभनपार्श्वनाथ । नवांगीहत्याधनेकशास्त्रकरणप्राप्तप्रतिष्ठत्री-" 11. अभयदेवसूरि । पत्य । लेखरूपदशकुलकप्रेषणप्रतिबोधितवागडदेशीयदशसह12. सथावक । सुविहितहितकवितक्रियाकरणपिंडविशयादिप्रकरणप्ररूपणजिनशासन13. प्रभावकश्चीजिनवनभसूरि । तत्पः । स्वशक्तिवशीकतचतुःषष्टियोगिनीचक्रमिपंचा- . 14. शहीरसिंधुदेशीयपीर । बडबावककरलिखितवर्षापरवाचनाविभूतयुगप्रधा15. नपदवीसमलक्कतपंचनदीसाधकत्रीजिनदत्तसूरि । तत्पह । श्रीमालउशवालादिप्रधान18. श्रीमहतीयाणप्रतिबीधक । नरमणिमंडितभालस्थलबीजिनचंद्रसूरि । तत्पर । भंडारीने17. मिचंद्रपरीचितप्रबोधोदयादिग्रंथरूपषट्त्रिंशवादसाधितविधिपक्षश्रीजिनपत्तिसूरि" 18. तत्पर । साठउलवीजापुरप्रतिष्ठितांतिवीरविधिचेत्यत्रीजिनेखरसूरि । तत्या19. •। श्रीजिनप्रबोधसूरि । तत्पर । राजचतुष्टयप्रतिबोधीदुपराजगच्छसंचाशोभित । 20. श्रीजिनचंद्रभूरि । तत्परः । श्रीशवजयमंडनखरतरवसतिप्रतिष्ठापकविख्याता21. तिपयलचत्रीजिनकुशलसूरि । तत्पर श्रीजिनपद्मसूरि । तत्परः । श्रीजिनलधिसू22. रि। तत्परः । श्रीजिनचंद्रसूरि । तत्पह । देवांगनावसरवासप्रक्षेपोदितसंघपतिपदा 4° stands for » Elliot's History of India, vol. V, page 247, note. Dele stop at the end of the line. WMetro Arya with a metrical fault in the first line, | तपडप्रभाकर, n may be seen from 1.6. which may be corrected by writing 'पार्थविनः. "Read शासनदेवी; कुष्ठ. " Read वनपाईन. • Read कविता. " Read . I Read षट्दिशहाद. " Rend चरितारीशीति-घशीतन. - Read वासः प्रचपी. 17 Dele stop at the end of the line.

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