Book Title: Epigraphia Indica Vol 01
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 368
________________ INSCRIPTION OF THE TIME OF BHOJAVARMAN. 333 L.1. Text." पो नमः केदाराय। गातरातरलीतसर्पराजवे[]य चारयसि(पि)बलविभूषचाय । कन्दर्पदमनाय सुरार्चिताय केदाररूपवि[]ताय" नमः शिवाय ॥१॥" षविंशतिः" करणकर्मनिवासपूता पासपुर परमसीस्थगुपातिरिवाः । तमध्यगा विबु(कु)धलोकमता वरिष्ठा रबारिका समबनि सानीयकला ।। सर्वो[प]कारकर कनिधः खकीयवंशस्त पानसभगत हिजाबयन । कल्यावसानसमयखित परी]" या वास्तुः खवं समधिगम्य समाससाद ॥३॥ तथा अतर्षिनदसानिनादितायां वास्तव्यवंशभविनारपात पासन् । पायाः समसभुवनानि यदीयकीचा पूधानि सधवसाणि विशेषयन्वा ॥ ४ ॥ विधाचतुर्दम कलाः सकलाः समीयु पनाभिरा ममिव वाभमायतासः । यं गर्भसंखमविलम्बितमरितीयं दुःखं वियोगबमसंहतमुवावः ॥ ५ ॥ तांशतः स उदपादिनीवरष गायन" बुधि दुर्बयता गतेन । बाजूकसंचति ठहरमिंबुतः सर्वाधिकारकररीषु सदा नियुक्तः ।।। पाराध संपतिमहलमसमेकं देवं गदाधरमिवाचुतवासमाधम् । 4. कायखवंशनलिनीगवतादिनयो पामं दुगौडमपि तामकमास(स) मे ।। तमन्तती सकलवाङ्मयपारद(द)बा" भूभूषवं निधिपतरिव कान्तिमा । मोजाबकारखए निपातार्ता माविर समभवलुजताभिसर्ता । यः पीतम(अ)शविषयेषु महीपतीनां चडामर्षि समनुभिव्य समाजयच । बीकीर्तिवर्गपति वि भिषाभिधानं वापरख पिपताहिकया समेतम् । तसिन्कुले महति सबनसोकशुष्टे गाधरः समुदभूवचि[वो]भिरामः । नूनं विचार्य परमहिनीबर युतः स [कचकितया परया त धीर॥१०॥ जौलाधरतदनुजः सहकर्मचारी सदा रतः समरकर्मपि मोचकारी। तौ वीरमानेमनुसत्य गिरी गरिहे कासपी सुबुधतुर्विशिखा[खेन। । तव मालाधरनामधेयस्तथ हितीयोऽजनि वीरमुख्थः । सुरैः सदा कल्पतकम(च)मेरभ्यर्थितो यः समए रमे ॥ १२॥" अमिष तचिन्प्रबभूव धीर पाल प्रतोलीचिराधिकार [0] From the rabbing. | Originally चारध,altered to चाराम " Expressed by anymbol. - Originally sचारममव., but the ruperflaou pw of the akskars in brokota only the vowel is indistinot. pour to have been strak out. 1 Metre of varsa 1-11, Vantatilaka. "Originally समेवा, but altered to समेवम्. » Probably altered, in the original, to fit . The Originally f , but clearly altered to return plural of the numeral is of course grammationlly incorrect. The ahehara in brokola to somewhat doabthul sad of thin akalara only the sign of anwedne la doubtral. might possibly be read . The spelling of this word is quite clear and distinct in Matre of verse 13-14 Upajul the rubbing

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