Book Title: Dhyan Kalptaru Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Kundanmal Ghummarmal SethPage 12
________________ ग्रन्थ कर्ताका संक्षिप्त जीवन चरित्र वगैरा. मालव देशके भोपाल शेहरमें औसबाल बडे साथ काँसटीया गोत्रकेसेठ केवलचंदजी रहतेथे, उनकी परनी हुलासा बाइके कुंखसे सवंत १९३३ के भाद्रव वद्य ४ को पुत्र हुवा उसका 'अमोलख' नाम दिया. और एक पुत्र हुये बाद हुलासा बाइका देहान्त होगया. फिर केवलचन्दजीने सं.१९४३ के चेतमे दिक्षा धारण कर पुज्य श्री काहानजी ऋषिजी महाराजके सम्प्रदाय के महंत मुनी श्री खूबाऋषिजी महाराजके शिष्य हु ये. औरज्ञानाभ्यास कर एक उपवाससे एक्कीस उपवास तकलड बन्ध और ३०-३१-४१-५१-६१-६३-७१ ८१-८३-९१-१०१-१११-और १२१ यहतपस्यातो छाछके आगरसे, और छे महीनेतक एकांतर उपवास वगैरे बहोतसीकरीहै तथ पूर्व, पंजाब, मालवा, गुजरात, मेवाड, माखाड दक्षिण वगैरा बहुत देश स्फश्यें हैं. सं०१९४४ के फागनमें महात्मा श्री तिलोका ऋषीजि महाराजके पाटवी शिष्य श्री रत्न ऋषिजी महाराजके साथ श्रीकेवल ऋषिजी. इच्छा वर (भोपाल) पधारे उसवक्त वहांसे दो कोश खेडी ग्राममें अमालख चंद अपने मामाके पासथे, मुनीआगम सुन दर्शनार्थ गयेPage Navigation
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