Book Title: Dharmratna Prakaran Part 01
Author(s): Shantisuri, Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 263
________________ २५२ कृतज्ञता गुण पर के हेतु अपने पांच मनुष्यों को गुप्तचर के रूप में सर्व स्थानों में भेजा । उनके नाम ये हैं:-स्पर्शन, रसना, घ्राण, दृक् और श्रोत्र ये पांचों जगत् को जीतने में प्रवीण और अनुपम बलवान हैं। उन पांचों जनों को किसी जगह चारित्र धर्म राजा के संतोष नामक मंत्री ने पूर्व (किसी समय ) कौतुक से अपमानित किया था। उसी कारण से यह अंतरंग राजाओं का परस्पर महान् कलह खड़ा हुआ है। मैं बोला कि-देशों को देखने का मेरा कौतुक अब पूर्ण हुआ। अब मैं मेरे माता पिता के पास जाने को उत्सुक हुआ हूँ। माता बोली की हे-पुत्र ! प्रसन्नता से जा । मैं भी वह लोग क्या करते हैं सो देखकर तेरे पास ही आने वाली हूँ। तत्पश्चात् मैं शीघ्र ही यह प्रयोजन निश्चित करके यहां आया हूँ। इसलिये हे तात ! इस घ्राण के साथ मित्रता रखना उचित नहीं। इस प्रकार विचार अपने पिता को कह रहा था कि इतने में तो वहां हे धवल राजन् ! मार्गानुसारिता आ पहुँची । उसने विचार की कही हुई सब बात पुनः कहकर समर्थन की । तब बुध के मन में आया कि घ्राण को छोड़ देना चाहिये । इधर मंदकुमार भुजंगता युक्त होकर घ्राण को लाड़ लड़ाने में आरक्त हो तथा सदा सुगंधित गंधों की खोज करता हुआ, उसी नगर में फिरता हुआ किसी समय अपनी बहिन लीलावती जो कि देवराज की भार्या थी उसके घर गया । ___ उस समय उसने अपनी सपत्नी (सौत ) के पुत्र को मारने . के लिये किसी चांडाल के द्वारा सुगन्धि से प्राण हर लेने वाला

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