Book Title: Dharmratna Prakaran Part 01
Author(s): Shantisuri, Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 290
________________ भीमकुमार की कथा ર૭ सहित आई । मैं ने मुनियों को नमन किया किन्तु तुम्हें वहां न देखकर मैं ने अवधि से तुमको यहां स्नान करते देखा जिससे मैं प्रसन्न हुई । वहां से लौटकर कुछ समय तक मैं एक भारी काम के कारण रुक गई थी, किन्तु अब हे महायश ! पुण्य-योग से तेरे दर्शन हुए हैं। पश्चात् यक्ष ने विमान रचाकर राजकुमार को कहा कि-हे नाथ ! अब शीघ्र चढ़िये क्योंकि अपने को कमलपुर जाना है । तब भीमकुमार उठकर प्रीतिवान कनकरथ राजा को जैसे वैसे समझाकर बुद्धिल मंत्री के पुत्र के साथ विमान पर आरूढ़ हुआ। उसके चलने पर कोई देवता गाने लगे, कोई नृत्य करने लगे और कोई हाथी के समान गर्जना करने लगे व कोई घोड़े के समान हिन-हिनाने लगे । तथा भेरी व भंभा आदि के नाद से आकाश को बहरा करते हुए वे सब कुमार के साथ कमलपुर के समीप के गांव में आ पहुँचे । वहां भीमकुमार जिन-मंदिर में गया और यक्ष राक्षस आदि के साथ जिनेश्वर को नमन कर हर्षित हो संगीत पूर्वक महोत्सव कराने लगा । अब पडह, भेरी, झालर और कांसिया आदि वाद्यों का शब्द कमलपुर में सभा में बैठे हुए राजा ने सुना। तब राजा ने मंत्रियों को पूछा कि-आज क्या किसी महा मुनि को केवलज्ञान उत्पन्न हुआ है कि जिससे देव वाद्यों का नाद सुनाई देता है ? तब मंत्री लोग विचार करके ज्योंही कुछ उत्तर देने को उद्यत हुए त्योंही उक्त ग्राम के स्वामी ने राजा को बधाई दी कि-हे महाराज ! बहुत से देव देवियों सहित आपका कुमार मेरे ग्राम में आ पहुँचा है और उसने जिन-मंदिर में यह महोत्सव प्रारंभ किया है।

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