Book Title: Dharmratna Karanda Tika Part 01
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ धर्म- | कुबेरसेनादृष्टांतः पुनरयं-अस्तीह भारते क्षेत्रे / धरारामावतंसकः // सरःसरित्पुरग्राम-विहारा- | | रामराजितः // 1 // सूरसेनानिधो देशो। जनतानंदकारकः // प्रमोदकारकानेक-वस्तुस्तोमस माकुलः // 2 // युग्मं / / बव तत्र विख्याता / कुबेरपुरसन्निगा // नित्यं पुण्यजनाकीर्णा / मथु. , 306 रानामसत्पुरी // 3 // रेजुर्यत्र सपद्मानि / मनोहारीणि सर्वतः // मध्ये शुभ्रोच्चगेहानि / बहिश्चा रुसरांसि च // 4 // प्रियालपनसाराणि / मुमनःशोजितानि च // यत्रांतः साधुवृंदानि / कानना नि बहिर्बनुः // 5 // परं प्रार्थयते लोकं / यत्र साधुजनो भृशं // दुःखैरेव गुणो यत्र / दोषाय ख. लु कटप्यते // 6 // गुणस्य बाधिका वृद्धि-र्यवेष्टा शब्दशासने // भागमस्यापि नित्यत्वं / यत्र तत्रैव संमतं // 7 // स्त्रोलोचनेषु लोलत्वं / कृशत्वं यदि विग्रहे / / पदपातः पतंगेषु / पत्रचिंताच नारीषु // 7 // कामिनां दृतसंचारो / रात्रेर्दोषानिधेयता // चूलतासु विलासिन्याः / कौटिट्यं यत्र विभ्रती // 7 // आसीत्तत्र विशालादी। विदग्धा कामिनां प्रिया // नाना कुबेरसेनेति / सुप्रसिका विलासिनी // 10 // या सर्वकामशास्त्रेषु / सकलासु कलासु च // निःशेषरतचेष्टासु / प्रावि एयमधिकं दधौ // 11 // शृंगाररस,गारो / विलासरसकूपिका / सल्लावण्यपयःकुंकं / सारसौंदर्यम PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404