Book Title: Dharmratna Karanda Tika Part 01
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धर्म- ट्य / नीत्वा पुंभिः कृतादरैः // यमुनायां महानद्यां / संध्याकाले प्रवाहिता // 4 // वीचिवन्नीरपू. टीका रेण / महावेगप्रवाहिणा // ऊह्यमानाथ सा प्रातः / प्राप्ता सौरिकपत्तने // 4 // अथ शरीरचिं. तार्थ-मागतौ सरितस्तटे // सौरिकपुरवास्तव्यौ / श्रेष्टिनी श्रेष्टचेष्टितौ // 4 // नाम्नैको यदाद ३ए. त्ताख्यो / महेश्वरान्निधोऽपरः // नदीतीरोपकंवं च / यावबौचार्थमागतौ // 20 // तावत्तौ नीरपूरेण / प्रेर्यमाणां मनोहरां // दृष्टवंतौ नदीमध्ये / मंजूषां मंजुगामिनी // 11 // त्रिनिर्विशेषकं // समीदमाणयोरेव.। तयोस्तत्र सकौतुकं // हस्तान्यासे दणादेव / वेगे नैव समाययौ / / 52 // ततस्तान्यां धृता शीघं / गबंती करपल्लवैः // नीता च तीरदेशे सा / तथोद्घाट्य निरीक्षिता / / // 53 // ततोऽवलोकितं तान्यां / तन्मध्ये बालकद्वयं // कंकेलिपल्लवबायं / सुकुमारशरीरकं // // 55 // देहोद्तप्रजाजाल-रुद्योतयदिशो दश // कुर्वपातिरेकेण / लोकानां लोचनोत्सवं // 55 // ततो महेश्वरः प्राह / तपादिप्तमानसः // जो श्रेष्टिन् पश्य पश्येदं / सुंदरं मिंजकद्वयं // 56 // अहो लावण्यसंपूर्णो / रूपवानेष दारकः // अहो समग्रसौंदर्य-राशिरेषापि दारिका / / // 57 // यथोक्तं यददत्तेन / केनापीदं समुनितं // म्रियतामापदं वापि / प्राप्नुयादिति वांबया / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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