Book Title: Dharmratna Karanda Tika Part 01
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धर्म- ततः // सम्यक्सम्यक तदुदरं / गर्भदोषमबुध्यत // 23 // ततो निश्चित्य तां पीडां / बजाणैवं निः | षग्वरः // यथास्या जठरे पीडा / युग्मगर्नसमुद्भवा // 24 // तस्मादस्यै ददामीदं / नानाऽव्यं शुनौषधं // मनाक्संजायते येन / शरीरेऽस्याः सुखासिका // 25 // प्रदत्तं च तकं तेन / वैद्येन 20 विधिपूर्वकं // ईषकुबेरसेनाया / जपशांता च वेदना // 26 // ततः सन्मान्य तांबूल-पुष्पादि. वखस्तुतिः // सस्नेहं सप्रणामं च / तया वैद्यो विसर्जितः // 27 // ततश्च कुट्टिनी प्राह / यथा वत्से व्यथाकरं // गालयामि प्रयोगेण / युग्मगर्भमिमं तव / / 20 // अन्यथा तेऽस्य गर्नस्य / व. र्धमानस्य दोषतः // अत्यंत दारुणा पीडा / जविष्यति सुःसहा // 25 // अतोऽयं गाव्यतां ग. नः / क्रियतां मामकं वचः // यद्यस्ति जीविताशा ते / नोचेत्पुत्रि विनंदयसि // 30 // कुबेरसे. नयापीदं / श्रुत्वा मातुः प्रनाषितं // दयाउँचित्तयावाचि / माजाणीर्मातरीदृशं // 31 // महापात. कमेतहि / विशिष्टजननिंदितं // यमनपातनं नाम / नृणहत्येति तद्विदुः // 32 // तस्मान्न गालयाम्येनं / गर्न प्राणात्ययेऽपि हि // किं रिजटिपतेनाथ / यद्भाव्यं तद्भविष्यति // 33 // अथो. | वाह तकं गर्न / कुर्वतमपि वेदनां // दिवसेषु च पूर्णेषु / सासूत युगलं वरं / / 34 // दारको दा. P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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