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विराट की अभीप्सा
और यह बड़े मजे की बात है कि छोटे से आदमी अक्सर हार जाता है, और बड़े से जीत जाता है। यह गणित बड़ा बेबूझ है। इसके पीछे बड़ा मनोविज्ञान है। ___ छोटे से आदमी क्यों हार जाता है? पहली तो बात यह कि जो छोटे से लड़ने चला है, उसने अपने को बहुत छोटा मान ही लिया। उसका भरोसा ही बहुत छोटे का हो गया। जो आदमी सिगरेट से लड़ने चला है, या पान से लड़ने चला है, या इसी तरह की छोटी-मोटी बातों से लड़ने चला है, उसने अपनी क्षुद्रता स्वीकार कर ली। इसी स्वीकार में हार है।
समझदार आदमी सिगरेट से लड़ता नहीं। अगर नहीं पीना है, तो सिर्फ छोड़ देता है; लड़ता नहीं। नहीं पीना है, तो नहीं पीता। कौन कहता है कि पीओ! सिर्फ छोड़ देता है, बिना लड़े। उसे बात दिख गयी, कि नहीं जंचती; कोई सार नहीं है। उस अंतर्दृष्टि में ही छूटना हो जाता है। __ बिना लड़े हो जाए, तब तो ठीक। जो आदमी कहता है : लंगोटी बांधूंगा; और दंड-बैठक लगाऊंगा; इससे लडूंगा। वह पहले से ही हारने की बात पक्की हो गयी उसकी। वह पहले से ही डरा हुआ है। वह घबड़ा रहा है। उसकी घबड़ाहट उसे कंपा रही है। वह जानता है कि मैं जीतने वाला नहीं। वह जानता है कि घड़ीभर सिगरेट न पीऊंगा, तलब उठेगी; फिर क्या होगा!
ऐसा हुआ। पहला आदमी उत्तरी ध्रुव पर पहुंचा था। तो उसने जब लौटकर अपने संस्मरण लिखे, तो उसने संस्मरणों में लिखा कि हमें सबसे बड़ी कठिनाई तब आयी, जब सिगरेट चुक गयी। भोजन कम हो गया, तो लोग एक बार भोजन करने को राजी थे। मगर जब सिगरेट चुक गयी, तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो गयी। लोग जहाज की रस्सियां काट-काटकर पीने लगे। रस्सियां! और जो उनका प्रमुख था, वह तो बहुत घबड़ाया। उसने कहा ये रस्सियां तुम पी गए, तो यह जहाज चलेगा कैसे! वापस हम कैसे पहुंचेंगे?
रस्सियों को बचाना मुश्किल हो गया। क्योंकि अधिक तो धूम्रपान करने वाले लोग थे। वे रात में उठ आएं, चोरी से रस्सी काटकर पी जाएं! और कोई चीज पीने को थी भी नहीं जहाज पर; रस्सियां ही थीं, जिनमें से धुआं निकल सकता था। बामुश्किल वे लौट पाए, उन रस्सियों को किसी तरह बचा-बचाकर। __एक आदमी यह पढ़ रहा था अखबार में-हाथ में सिगरेट लिए-उसे खयाल आया कि अगर मैं भी उस यात्रा में होता...। और वह श्रृंखलाबद्ध धूम्रपान करने वाला था, चेन स्मोकर था। एक सिगरेट से दूसरी जलाए; दूसरी से तीसरी जलाए। सिगरेट हाथ से छूटे ही नहीं। अभी भी अखबार पढ़ रहा था...लेकिन उसे लगा कि अगर मैं उस यात्रा में होता, तो क्या मैंने भी जहाज की गंदी रस्सियां पी होती? मैंने भी? और उसने हाथ से सिगरेट छोड़ दी। और उसने कहाः अब मैं देखूगा; जब इतनी तलब मुझमें उठे कि मैं जहाज की सड़ी-गली रस्सियों को धूम्रपान कर जाऊं,