________________
विराट की अभीप्सा
मेरे पास लोग आ जाते हैं। वे कहते हैं, कि बस, संन्यास दे दीजिए। फिर दो-चार महीने बाद आते हैं कि अभी तक कुछ हुआ नहीं! जैसे कि संन्यास से कुछ होने वाला है।
संन्यास तो सिर्फ सूचना थी कि अब हम कुछ करेंगे। वह तो कुछ किया नहीं। वे सोचते हैं कि संन्यास ले लिया, सो सब हो गया। अब जैसे जिम्मेवारी मेरी है! अब वे मुझे अदालत में ले जाने की इच्छा रखते हैं कि अभी तक किया क्यों नहीं! . तो यह आदमी संन्यस्त हो गया था। सोचता होगा : बुद्ध के शिष्य हो गए; अब
और क्या करना है? फिर उदासी आनी शुरू हुई होगी। क्योंकि बुद्ध कहते हैं : विपस्सना करो। बुद्ध कहते हैं : ध्यान करो। बुद्ध कहते हैं : संकल्प करो। बुद्ध कहते हैं : भीतर जाओ। यह जाता होगा भीतर; इसको नंगल दिखायी पड़ता होगा। झाड़ पर लटका नंगल! जाता होगा भीतर; वही विचार आते होंगे पीछे अतीत के। सोचता होगाः यह कहां की झंझट में मैं...! कहां भीतर जाना? कहां है भीतर? क्या है भीतर? अंधेरा-अंधेरा दिखता होगा। कि अच्छी झंझट में पड़े! अपना हल चलाते थे; अपनी दो रोटी कमा लेते थे। वह भी गयी और यह भीतर जाना! ___यह तो सोचा ही नहीं था। बुद्ध को देखा था। बुद्ध की महिमा देखी थी। बुद्ध का गौरव देखा था। बुद्ध का प्रकाश देखा था। उसी लोभ में पड़कर संन्यस्त हो गया था। अब यह करना भी पड़ेगा कुछ। यह तो सोचता था ः ऐसे ही मिल जाएगा। पीछे चलते-चलते मिल जाएगा।
तो कई दफे उदासी आ जाती है।
पहली दफा जब उदासी आयी, तो उसने सोचाः इसमें कोई सार नहीं। यह अपना काम नहीं है। गया। उचट गया वैराग्य से मन। पहुंचा अपने वृक्ष के पास। सोचाः हल को लेकर पुनः गृहस्थ हो जाऊं।
लेकिन मन ऐसा ही क्षणभंगुर है। __यहां रोज ऐसा होता है। कोई मुझसे पूछता है कि मन बहुत उदास है, मैं क्या करूं? मैं कहता हूं : तीन दिन बाद आओ। वह सोचता है: तीन दिन बाद मैं उपाय बताऊंगा। तीन दिन बाद वह आता है। वह कहता है : अब मन उदास नहीं है। मैंने कहाः वापस जाओ। इतना काफी है। इससे समझो कि ये सब क्षणिक भाव-भंगिमाएं हैं। इनमें इतने उलझो मत। आती हैं, जाती हैं। मौसम की तरह बदलती हैं।
सुबह सूरज; दुपहर बादल घिर गए! सांझ बूंदा-बांदी हो गयी। ___ अब हर चीज को समस्या मत बनाओ कि बूंदा-बांदी हो गयी; अब क्या करें? जैसे कि अब जिंदगीभर बूंदा-बांदी होती रहेगी! कल सुबह फिर सूरज निकलेगा। अब बादल घिर गए; अब क्या करें? मैं कहता हूं : तीन दिन बाद आओ। तीन दिन बाद बादल छंट जाते हैं।
इसीलिए लक्ष्मी को बिठा रखा है। वह रोकती है लोगों को। लोग कहते हैं,
99